बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर झंडा क्यों गाढ़ा होगा?

बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर झंडा क्यों गाढ़ा होगा?

इसे सुनेंरोकें___ बड़े होकर नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउन्टेनियरिंग से उन्होंने पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग ली और उन्हें गाइड करने वाले थे-ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह। वे महिलाओं को पहाड़ों पर चढ़ने की ट्रेनिंग देने लगीं। 1984 में बछेन्द्री को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए चुना गया। लगभग 7300 मीटर की ऊँचाई पर पहुंची तो बेहद थकी हुई थी।

पहाड़ पर चढ़ने के रास्ते कैसे कैसे होते हैं चित्र साहित्य वर्ण करो?

इसे सुनेंरोकें▬ पहाड़ों के रास्ते बेहद घुमावदार होते हैं, इन पर चढ़ाई करना आसान नहीं होता। यह एक प्रायोगिक कार्य है, विद्यार्थी इसे स्वयं करें और चित्र बनाने का प्रयास करें। उनकी सहायता के लिए साथ में कुछ चित्र संलग्न किये गये हैं।

बछेंद्री पाल कब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ी?

इसे सुनेंरोकेंइस्पात कंपनी ‘टाटा स्टील’ में कार्यरत, जहाँ चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। बछेंद्री पाल (जन्म 24 मई 1954), माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था।

बछेंद्री पाल का यह कौन सा अभिमान है?

इसे सुनेंरोकेंबछेंद्री को 1984 में एवरेस्ट के लिए भारत के चौथे अभियान एवरेस्ट 84 के लिए चुना गया. इस अभियान में 6 महिलाएं और 11 पुरुष थे. पाल अकेली महिला थीं जो ऊपर तक पहुंच पाई. वह 23 मई 1984 को दोपहर एक बजे चोटी पर पहुंची.

पर्वतारोही के पास क्या सामान होना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंपर्वतारोहण करने के लिए खास फेब्रिक से बने कपड़े ही पहने जाते हैं, जो पर्वतारोही के शरीर को गरम रखते हैं। मोजे, जूते और एक छोटा बैकपैक भी होना चाहिए जिसमें आप अपनी जरूरत का सामान रख सकें। हेलमेट, हार्नेस, लंबी रस्सी इन्हीं जरूरी चीजों में शुमार है।

क्या कभी तुम भी रास्ता भूले हो तब तुमने क्या किया?

इसे सुनेंरोकेंक्या कभी तुम रास्ता भूले हो? तब तुमने क्या किया? उत्तर: हाँ मैं बहुत बार रास्ता भूला हूँ।

पहाड़ों पर ज्यादा शक्ति की जरूरत क्या होती है?

इसे सुनेंरोकेंपहाड़ों पर ज्यादा शक्ति की जरूरत क्यों पड़ती है? उत्तर: पहाड़ों पर हम गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध चढ़ते हैं। वहाँ की सतह भी ऊँची-नीची होती है जिससे हमें पहाड़ों पर चढ़ने के लिए काफी उर्जा की जरूरत होती है।

पर्वतारोही के पास क्या क्या सामान होता है?

इसे सुनेंरोकेंबछेंद्री का जीवन असधारण उपलब्धियों से भरा रहा है. उनका जीवन प्रतिबद्धता, पैशन और कठोर अनुशासन की मिसाल रहा है. 23 मई, 1984 को वह एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. 35 साल बाद जब वह पीछे मुड़कर देखती हैं तो उन्हें वे दिन याद आते हैं जिसने उनके पूरे जीवन को बदलकर रख दिया.