दबाव समूह कौन कौन से हैं?

दबाव समूह कौन कौन से हैं?

व्यवसाय समूह – जैसे फिक्की , एसोचेम ,एमओ इत्यादी

  • व्यापार संघ – जैसे AITUC , INTUC , HMS , CITU इत्यादि
  • खेतिहर समूह – जैसे भारतीय किसान यूनियन , ऑल इंडिया किसान सभा , भारतीय किसान सभा इत्यादि
  • छात्र संगठन – जैसे ABVP , NSUI , AISA इत्यादि
  • पेशेवर समितियां – जैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन , बार काँसिल ऑफ इंडिया इत्यादि
  • लोकतंत्र और विविधता क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंलोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है। लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढ़ंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है। लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है। लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।

    दबाव समूह क्या है कुछ उदाहरण बताएं?

    इसे सुनेंरोकेंसाधारणतया इन समूहों के सदस्य वे लोग होते हैं जिनके कुछ सामान्य हित होते हैं। ये प्रत्यक्ष रुप से कभी भी चुनाव नहीं लड़ते बल्कि ये अपने प्रभाव से सत्ता को नियंत्रण में रखते हैं । ये सीधे रूप से राजनीतिक सत्ता पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। उदाहरण : लेबर यूनियन, छात्र संघ, व्यापारी संघ, किसान संगठन आदि।

    निम्नलिखित में से कौन सा दबाव समूह निराधार हैं?

    इसे सुनेंरोकेंनिम्नलिखित में से कौन-सा दबाव समूह निराधार है (1) वे सरकारी नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हो। (2) वे चुनाव लड़ने का प्रयास करते हो। (3) वे अपने चारों ओर सामान्य आकांक्षाएं व रुचि को बनाए रखते हैं। (4) विशेष मुद्दों पर निश्चित रूप से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं​

    लोकतंत्र क्या है समझाइए?

    इसे सुनेंरोकेंलोकतंत्र एक प्रकार का शासन व्यवस्था है, जिसमे सभी व्यक्ति को समान अधिकार होता हैं। एक अच्छा लोकतंत्र वह है जिसमे राजनीतिक और सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक न्याय की व्यवस्था भी है। देश में यह शासन प्रणाली लोगो को सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करती हैं।

    सामाजिक विभिन्नता से आप क्या समझते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंAnswer: समाजिक विभिन्नता का अर्थ है कि एक समूह के लोग अपनी जाति, धर्म, भाषा, सभ्यता के कारण भिन्न होते है। जब एक सामाजिक विभिन्नता दूसरी सामाजिक भिन्नता से जुड़ जाती है, तो यह सामाजिक विभाजन बन जाती है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अंतर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते है।