प्रकृति के चितेरे कवि कौन है?

प्रकृति के चितेरे कवि कौन है?

इसे सुनेंरोकेंअपनी कविताओं में प्रकृति की सुवास को चहुंओर बिखेरने वाले चितेरे कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कौसानी गांव में 20 मई, 1900 को हुआ था।

सुमित्रानंदन पंत सुकुमार कवि कौन है?

इसे सुनेंरोकेंसुमित्रानंदन पंत को प्रकृति का सुकुमार कवि बताया। मंडलीय सभाकक्ष में उन्होंने कहा कि पंत ने हिंदी साहित्य में छायावाद युग का प्रारंभ किया था। प्रकृति में मानवीय व्यापारों एवं मनोभावों की छाया की काव्य प्रस्तुति छायावाद है। छायावाद कविता की भाषा में सहजता एवं सुकोमलता पाई जाती है।

सुमित्रानंदन पन्त की महत्वपूर्ण कृति इनमें से कौन सी नहीं है?

सुमित्रानंदन पंत (२० मई १९०० – २८ दिसम्बर १९७७) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।…सुमित्रानन्दन पन्त

सुमित्रानंदन पंत
विषय संस्कृत
उल्लेखनीय सम्मान पद्म भूषण (1961) ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968)
Literature प्रवेशद्वार

सुमित्रानंदन पंत को प्रकृति का सुकुमार कवि क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंछायावादी युग के महान साहित्यकार सुमित्रानंदन पंत को प्रकृति के सुकुमार कवि के नाम से जाना जाता है। क्योंकि उन्हें प्रकृति से बहुत लगाव था। वे प्रकृति को ही अपनी माता मानते थे तथा अपनी समस्त कृतियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत वह प्रकृति को ही मानते थे। यही कारण है कि पंत जी को प्रकृति के सुकुमार कवि के नाम से जाना जाता है।

3 पंत जी को प्रकृति के बेजोड़ कवि क्यों कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइसमें अनंत सत्ता के प्रति प्रेम प्रकट किया जाता है। उन्होंने कहा कि पंत जी ने प्रकृति के कण कण में मानवीय सौंदर्य और प्रेम का अनुभव किया था। डीआरएम चंद्रमोहन जिंदल ने पंत को हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक बताया जिन्होंने भाषा को निखार और संस्कार देने के अलावा उसके प्रभाव को भी सामने लाने का प्रयत्न किया।

वे आँखें कविता का मूल स्वर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह कविता दुश्चक्र में फैसे किसानों के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखों की परतों को खोलती है और स्पष्ट रूप से विभाजित समाज की वर्गीय चेतना का खाका प्रस्तुत करती है। कवि कहता है कि किसान की अंधकार की गुफा के समान आँखों में दुख की पीड़ा भरी हुई है। इन आँखों को देखने से डर लगता है। वह किसान पहले स्वतंत्र था।

पंत के काव्य में सर्वाधिक चित्रण किसका है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति का यह मानवीकरण छायावादी काव्य की एक प्रमुख विशेषता है। चांदनी , बादल , छाया , ज्योत्स्ना , किरण आदि प्रकृति से संबंधित अनेक विषयों पर सुमित्रा नंदन पंत ने स्वतंत्र रुप से कविताएं लिखी है , इनमें प्रकृति के दुर्लभ मनोरम चित्र प्रस्तुत हुए हैं।

प्रकृति चित्रण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसहानुभूतिपूर्ण चेतन सत्ता के रूप में प्रकृति चित्रण प्रकृति चित्रण का एक तीसरा प्रकार वह है जिसमें कवि प्रकृति का एक सहानुभूति पूर्ण चेतन सत्ता के रूप में चित्रण करता है। इस प्रकार का प्रकृति चित्रण करने में कविवर जायसी को अद्भुत सफलता मिली है। उनके पद्मावत में प्रकृति का बड़ा ही सरस और आकर्षक वर्णन हुआ है।

सुमित्रानंदन पंत की प्रथम कृति कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंपन्त जी की प्रथम रचना ‘गिरजे का घण्टा’ 1916 ई. की रचना है। उनकी काव्य यात्रा की शुरूआत इसी रचना से ही हुई।

सुमित्रानंदन पंत की महत्वपूर्ण कृति कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंउनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में उच्छ्वास, ज्योत्सना, पल्लव, स्वर्णधूलि, वीणा, युगांत, गुंजन, ग्रंथि, मेघनाद वध (कविता संग्रह), ग्राम्‍या, मानसी, हार (उपन्यास), युगवाणी, स्वर्णकिरण, युगांतर, काला और बूढ़ा चाँद, अतिमा, उत्तरा, लोकायतन, मुक्ति यज्ञ, अवगुंठित, युग पथ, सत्यकाम, शिल्पी, सौवर्ण, चिदम्बरा, पतझड़, रजतशिखर, तारापथ.

सुमित्रानंदन पंत को छायावादी काव्यधारा का कवि क्यों माना जाता है?

इसे सुनेंरोकेंसुमित्रा नंदन पंत का प्रकृति चित्रण छायावादी कविता की एक प्रमुख विशेषता रही है की व्यक्तिगत स्वतंत्रता इसके लिए इस धारा के कवियों ने अपनी आत्मनिर्भरव्यक्ति के लिए स्वच्छंद कल्पना और प्रकृति का सहारा लिया। पंत के काव्य में प्रकृति के प्रति अपार प्रेम और कल्पना की ऊंची उड़ान है।

सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब हुआ था?

20 मई 1900सुमित्रानन्दन पन्त / जन्म तारीख