इंडो सारसनिक शैली क्या है?

इंडो सारसनिक शैली क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइंडो-सरसेनिक रिवाइवल (जिसे इंडो-गॉथिक, मुगल-गॉथिक, नियो-मुगल, हिंदु शैली भी कहा जाता है) 1 9वीं शताब्दी के बाद भारत में ब्रिटिश वास्तुकारों द्वारा उपयोग की जाने वाली वास्तुशिल्प शैली थी, खासकर ब्रिटिश राज में सार्वजनिक और सरकारी भवनों में , और रियासतों के शासकों के महल।

इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला की क्या विशेषता है?

इसे सुनेंरोकेंइस कला में भारतीय एवं ईरानी शैलियों के मिश्रण के प्रमाण मिलते हैं। साथ ही सुल्तानों, अमीरों एवं सूफियों के मकबरे के निर्माण की परंपरा भी इसी कला के साथ शुरू हुई। शहतीरी शिल्पकला और मेहराबी गुंबद कला का सुंदर समन्वय इस स्थापत्य कला की मुख्य विशेषता है।

हिंदू मुस्लिम वास्तुकला से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंउस समय हिंदू वास्तुकला में जहाँ भवन निर्माण में पत्थरों, स्तंभों एवं शहतीरों का प्रयोग किया जाता था, वहीं इस्लामिक स्थापत्य कला में नोकदार मेहराब और गुंबद आदि बनाए जाते थे। हिंदू-मुस्लिम स्थापत्य कला के इस मिश्रण से कला की एक नई तकनीक विकसित हुई, जिसे इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहा गया।

इस्लामिक स्थापत्य कला क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में मुसलमानों का हिंद-इस्लामी वास्तुकला में गहरा और दिलचस्प योगदान था । उनके द्वारा लाई गईं स्थापत्य विशेषताओं में मेहराब, गुंबद, मीनार, लंबित, बगली डाट मेहराब, अर्द्ध गुंबद वाले दोहरे प्रवेशद्वार, छतरियां और निर्माण में कंकरीट का प्रयोग शामिल है ।

शैली से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंशैली ‘शील’ धातु से व्युत्प्न्न है। सामान्यतः शैली का आशय लहजा, ढंग, परिपाटी, पद्धत्ति, विधि, तौर-तरीका आदि से है। शैली आंग्ल शब्द ‘स्टाइल’ का समानार्थी है।

इंडो इस्लामिक स्थापत्य कला शैली से भारत का परिचय कैसे हुआ?

इसे सुनेंरोकेंइंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर भारतीय उपमहाद्वीप की वास्तुकला है जो इस्लामी संरक्षकों और उद्देश्यों के लिए और उनके लिए निर्मित है । सिंध में प्रारंभिक अरब उपस्थिति के बावजूद , भारत-इस्लामी वास्तुकला का विकास 1193 में घुरिद वंश की राजधानी के रूप में दिल्ली की स्थापना के साथ शुरू हुआ।

भारतीय इस्लामिक कला का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंइस्लामी कला में आती हैं, सातवीं शताब्दी से आरंभ हुई कलाएं, जो कि उन लोगों द्वारा (अनिवार्य रूप से मुस्लिम नहीं) जो कि मुस्लिम संस्कृति से जुडे़ क्षेत्रों में रहते थे; के द्वारा बढा़ई गईं। इसमें सम्मिलित हैं इस्लामी वास्तुकला, इस्लामी सुलेखन, चित्रकारी एवं चीनी मिट्टी के कार्य।

रोमन साम्राज्य के वास्तु कलात्मक रूपों से इस्लामी वास्तुकला त्मक रूप कैसे भिन्न थे विस्तार से वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउनके भवनों में गोल गुंबद, छोटी मीनारें, घोड़ों के खुर के आकार के मेहराब तथा मरोड़दार स्तंभ होते थे। इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएं अरबों की मस्जिदों, पुस्तकालयों ,महलों, चिकित्सालयों और विद्यालयों में देखी जा सकती हैं। आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।

शैली कितने प्रकार की होती हैं?

इसे सुनेंरोकेंशैली का अर्थ होता है कोई भी ढंग का तरीका। शैली के चार प्रकार होते हैं। पहली विवरणात्मक शैली इस शैली में किसी व्यक्ति द्वारा या लेखक द्वारा किसी घटना का वर्णन ही प्रमुख प्रस्तुति होती है। दूसरी व्याख्यात्मक शैली किसी भी घटना या विचार को व्याख्या के द्वारा समझाया जाता है और सरल किया जाता है व्याख्यात्मक शैली कहलाती है।

शैली का मूल आधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशैलीविज्ञान एक ओर भाषाशैली का अध्ययन साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर करता है, जिसमें रस, अलंकार, वक्रोक्ति, ध्वनि, रीति, वृत्ति, प्रवृत्ति, शब्द-शक्ति, गुण, दोष, बिंब, प्रतीक आदि आते हैं।

कौन सी छतरी Indo Islamic शैली से निर्मित है?

इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर औरंगजेब है। मोती मस्जिद (मोती मस्जिद) का निर्माण 1659-60 में औरंगजेब ने करवाया था। मोती मस्जिद नई दिल्ली में लाल किला परिसर में स्थित है। इसे सफेद संगमरमर का उपयोग करके बनाया गया था।