वर्षा यहां एक दिना है सुखद संयोग है लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

वर्षा यहां एक दिना है सुखद संयोग है लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि यहाँ वर्षा बहुत कम होती है, बल्कि कभी-कभी ही होती है। वर्षा ऋतु यहाँ मन की साध पूरी नहीं करती। वर्षा के अभाव में यहाँ की धरती सूखी, ठंडी और बंजर रहती है।

लेखक वर्षा को स्पीति में एक घटना क्यों कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है – लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? उत्तर: लेखक बताता है कि स्पीति में वर्षा बहुत कम होती है। इस कारण वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती।

यह माने की चोटियां बूढ़े लामा के जाप से उदास हो गई है लेखक ने युवाओं को क्या संदेश दिया है?

इसे सुनेंरोकेंये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं – इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है? इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से यह आग्रह किया है कि वे माने की चोटियों के मध्य किलोल करें तो यहाँ की नीरसता में सरसता का संचार हो सके। बूढ़े लामा मंत्र का जाप चुपचाप करते रहते हैं।

माने क्या है * मंत्र चोटी का नाम उपर्युक्त दोनों इनमें से कोई नहीं?

इसे सुनेंरोकेंस्पीति बारालाचा पर्वत श्रेणी में दो चोटियाँ हैं। दक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। लेखक ‘माने’ का अर्थ जानना चाहता है। उसे लगता है कि यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर है- ‘ओं मणि पक्षमें हुँ’।

1 इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता क्यों?

इसे सुनेंरोकेंइतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता क्योंकि यहाँ जाना आज बहुत कठिन रहा। ऊँचे दर्रों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में इसकी ओर ध्यान नहीं जा सका। इसमें न लाँघे जाने वाले भूगोल की भी बड़ी भूमिका रही है। वहीं का वर्णन इतिहास में मिलता है जहाँ की घटनाओं की जानकारी मिलती रहे।

Lahul स्पीति में आवागमन की क्या कठिनाई है?

इसे सुनेंरोकेंलाहौल स्पीति में आवागमन की अनेक कठिनाइयां हैं। स्पीति में पूरे साल में लगभग 8 से 9 महीने बर्फी जमा रहती है, इस कारण सारे रास्ते जाम हो जाते हैं और यह क्षेत्र बाकी दुनिया से कटा रहता है। मुश्किल से तीन चार महीने ही बसंत ऋतु रहती है, और सामान्य मौसम होता है। यहां पर ना तो हरियाली है ना ही पेड़ है।

लेखक के अनुसार माने की चोटियाँ उदास क्यों हैं *?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं – इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से आग्रह किया है कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाड़ों से युवक-युवतियाँ आएँ और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएँ फिर इन चोटियों के अहंकार को चूर करें।

माने की चोटियों की उदासी का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंमैं सोचता हूँ कि देश और दुनिया के मैदानों से और पहाडों से युवक-युवतियां आएं और पहले तो स्वयं अपने अहंकार को गलाएँ-फिर इन चोटियों के अहंकार को चूर करें। उस आनंद का अनुभव करें जो साहस और कूवत से यौवन में ही प्राप्त होता है। अहंकार का ही मामला नहीं है। ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं।

दक्षिण की श्रेणी को क्या कहते है माने जाने पाने काने?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण में जो श्रेणी है वह माने श्रेणी कहलाती है। लेखक ‘माने’ का अर्थ जानना चाहता है। उसे लगता है कि यह बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर है- ‘ओं मणि पक्षमें हुँ’। लेखक का कहना है कि यहाँ की पहाड़ियों में माने मंत्र का इतना जाप हुआ है कि इस श्रेणी का नाम माने मंत्र के नाम पर ही रख देना उचित है।