मांटेग्यू सुधार को स्वीकृति कब दी गई थी?

मांटेग्यू सुधार को स्वीकृति कब दी गई थी?

इसे सुनेंरोकेंअतः भारत मंत्री मांटेग्यू या मांटेगू और वायसराय चेम्सफोर्ड एक सम्मिलित रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में भेजा और उसी आधार पर संसद में 1919 ईस्वी का अधिनियम पारित किया, जिसे मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार या मांटफोर्ड सुधार कहते हैं।

1919 में क्या समाप्त हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंमार्च 1919 में रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act) पारित किया, हालांँकि केंद्रीय विधान परिषद के प्रत्येक भारतीय सदस्य ने इसका विरोध किया।

1919 क्यों महत्वपूर्ण है?

इसे सुनेंरोकेंभारत सरकार अधिनियम- 1919 को ‘मांटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार’ के नाम से भी जाना जाता है। भारतमंत्री लॉर्ड मांटेग्यू ने 20 अगस्त, 1917 को ब्रिटिश संसद में यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है।

1919 के अधिनियम की मुख्य विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत सरकार अधिनियम 1919 की विशेषताएं अधिनियम के अनुसार, आयकर को केंद्र सरकार को राजस्व के स्रोत के रूप में रखा गया था। विधायिका की सहमति के बिना विधायी विधेयकों को वायसराय की मंजूरी के तहत पारित किया जाना था। अधिनियम ने पहली बार भारत में एक लोक सेवा आयोग की स्थापना के लिए प्रदान किया।

1919 के अधिनियम के तहत स्थापित द्वैध प्रशासन से आप क्या समझते?

इसे सुनेंरोकें1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन (diarchy) की स्थापना की गई. 1919 के पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था. इस द्वैध शासन का एकमात्र उद्देश्य था – भारतीयों को पूर्ण उत्तरदायी शासन के लिए प्रशासनिक शिक्षा देना.

प्रांतीय स्वायत्तता कब लागू हुई?

इसे सुनेंरोकेंइसमें 321 अनुच्छेद एवं 10 परिशिष्ट थे। इसे 3 जुलाई 1936 को लागू किया।

1919 का अधिनियम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंमार्च 1919 में रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act) पारित किया, हालांँकि केंद्रीय विधान परिषद के प्रत्येक भारतीय सदस्य ने इसका विरोध किया। इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।।

द्वैध प्रणाली क्या है?

इसे सुनेंरोकेंद्वैध शासन व्यवस्था का अर्थ है – दोहरा शासन अर्थात दो स्वतंत्र सत्ताओं द्वारा शासन। द्वैध शासन का सिद्धान्त सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने अपनी पुस्तक ‘डायर्की’ में प्रतिपादित किया था। बाद में यह सिद्धान्त ‘भारतीय शासन अधिनियम, 1919’ में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रान्तों में द्वैध शासन स्थापित हुआ।

1920 के अधिनियम को क्या कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंअतः इसे “मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार” या “मांट-फोर्ड सुधार” या “1919 का भारत सरकार अधिनियम” भी कहा जाता है. मांटेग्यू ने भारत के वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड तथा भारत के राष्ट्रवादियों से भेंट की और एक समिति का गठन किया जिसमें एक भारतीय भूपेन्द्रनाथ बसु भी शामिल थे. समिति ने सुधारों का एक मसौदा तैयार किया.

प्रांतीय स्वायत्तता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक अखिल भारतीय संघ की स्थापना की जाएगी जिसमें ब्रिटिश भारत के प्रान्तों के अतिरिक्त देशी नरेशों के राज्य भी सम्मिलित होंगे. समवर्ती विषय, जो केंद्र और प्रांत के अधीन थे. परन्तु यह निश्चित किया गया कि केंद्र और प्रान्तों में विरोध होने पर केंद्र का ही कानून मानी होगा.