स्वदेशी और बहिष्कार का क्या अर्थ है?

स्वदेशी और बहिष्कार का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था। ‘स्वदेशी’ का अर्थ है – ‘अपने देश का’। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था।

सामाजिक बहिष्कार क्या है इसके क्या प्रभाव होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंयदि कोई व्यक्ति या समूह किसी दूसरे सदस्य या समूह को किसी भी सामाजिक या धार्मिक रीति-रिवाज़ या समारोह को देखने से रोकने या रोकने का प्रयास करता है, या सामाजिक, धार्मिक या सामुदायिक समारोहों, लोगों के जमावड़े, मण्डली, बैठक या जुलूस में भाग लेने से रोकता है तो इसे सामाजिक बहिष्कार की श्रेणी में माना जाएगा।

सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार सामाजिक कैसे हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- सामाजिक बहिष्कार एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत किसी भी व्यक्ति अथवा समूह के द्वारा सामाजिक जीवन में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सामाजिक बहिष्कार का स्वरूप संरचनात्मक होता है। यह सामाजिक प्रक्रियाओं का परिणाम होता है।

स्वदेशी के समर्थक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंअरबिन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य तिलक और लाला लाजपतराय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्पोषक थे।

स्वदेशी बहिष्कार आंदोलन कब हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंअगस्त 1905 में कलकत्ता के टाउनहॉल में एक विशाल बैठक आयोजित की गई जिसमें स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) की औपचारिक घोषणा की गई। मैनचेस्टर में निर्मित कपड़ों तथा लिवरपूल के नमक जैसे सामानों के बहिष्कार का संदेश प्रचारित किया गया।

सामाजिक भेदभाव का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंसामाजिक भेदभाव विभिन्न रूपों में समाज में उपस्थित हैं जैसे जातिगत भेदभाव, लैंगिक (महिला और पुरुष),वर्ण आधारित (काले गोरे- अमेरिका और यूरोप में), लम्बे छोटे, इत्यादि। जितने भी भेदभाव हैं उसमे सभी एक दुसरे को नीचा दिखने का प्रयास करते हैं यदि ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनमे हीन भावना उत्पन्न हो जाती है।

सामाजिक क्षेत्र में विषमता से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच की पद्धति ही साधारणतया सामाजिक विषमता कहलाती है। कुछ सामाजिक विषमताएँ व्यक्तियों के बीच स्वाभाविक भिन्नता को प्रतिबिंबित करती हैं। वह व्यवस्था जो एक समाज में लोगों का वर्गीकरण करते हुए एक अधिक्रमित संरचना में उन्हें श्रेणीबद्ध करती है उसे समाजशास्त्री सामाजिक स्तरीकरण कहते हैं।

सामाजिक असमानताओं से आप क्या समझते हैं सामाजिक विषमता को दूर करने के मुख्य उपायों का वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंवर्तमान समय में असमानता ही देश की बड़ी समस्या बनती जा रही है। हम सभी को मिलकर इसे अब खत्म करना होगा, तभी महिलाओं को सम्मान मिल पाएगा। सामाजिक असमानता के कारण ही आज समाज में आपसी प्रेम, भाईचारा, मानवता, इंसानियत और नैतिकता खत्म होती जा रही है। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है।