जीवन के अनुभव एवं बचपन की पहचान के विकास में क्या भूमिका है?

जीवन के अनुभव एवं बचपन की पहचान के विकास में क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंइस अवस्था में बच्चे चलना, दौड़ना, शब्दों के माध्यम से अपनी आवश्यकताओं को बताना आदि चीजें कर पाते हैं। परिवार के सदस्यों की पहचान कर सकते है आत्मविश्वासी हो जाते हैं। शैशवावस्था तीव्र विकास की अवस्था होती है। स्वयं कार्य कर पाना उसे आत्मविश्वास की भावना प्रदान करता है।

आधुनिक काल में बच्चों का बचपन छिनता जा रहा है कैसे कारण बताइए?

इसे सुनेंरोकेंदेखा जाए तो बचपन ही वह समय होता जब बिना किसी जिम्मेदारी और दुनियादारी के सब अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं। परंतु तेजी से भागती दुनिया की अंधी दौड़, आगे बढऩे की होड़, कंधों पर बढ़ते बस्ते का बोझ और प्रतिस्पर्धा के कारण आजकल के बच्चों से उनका बचपन छिनता जा रहा है।

शैशवावस्था का आयु वर्ग क्या है इसकी मुख्य विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस संदर्भ में गुडएनफ नामक विद्वान ने कहा है कि- “व्यक्ति का जितना भी मानसिक विकास होता है उसका आधा 3 वर्ष की आयु तक हो जाता है।” शैशवावस्था वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति को जो कुछ भी बनना होता है अर्थात उसका भावी जीवन किस ओर जाना है उसके आरंभ के चार पाँच वर्षों में ही निर्धारित हो जाता है।

हर बच्चे का बचपन एक जैसा नहीं होता क्यों?

इसे सुनेंरोकेंतीन-चार वर्ष की आयु बीतने के बाद से हमारे समाज, हमारे परिवार में बच्चे से की जाने वाली अपेक्षाएँ दरअसल उसे वयस्क बनाने की तैयारी होती हैं। वे बचपन को स्वीकृति नहीं देतीं। लड़कियों के बचपन को तो उस समय भी स्वीकृति नहीं देतीं जब वेे शैशव काल में होती हैं। तो उसके बाद से तो खैर उनका बचपन होता ही नहीं है।

अतीत में बच्चों को बचपन में क्या सिखाया जाता था?

इसे सुनेंरोकेंकिन्तु समय के साथ बचपन के तौर तरीके, खेल खिलौने, विद्या अर्जन के माध्यम बहुत बदल गये हैं । अब नहीं रही सुलभ वो प्रकृति जिसके सानिध्य में रहकर, जिसके साथ खेलकर हमने विद्या ग्रहण की । पेडों की डालों पर बैठकर गणित के सवाल भी खेल का एक हिस्सा लगते थे ।

इसे सुनेंरोकेंबच्चे का लड़का या लड़की होना एक महत्वपूर्ण कारक है जो कि उसके अनुभव निर्धारित करता है। पालन-पोषण किस प्रकार हुआ, बच्चे को कैसे अवसर और सुविधाएँ मिलीं और अन्य लोगों का उसके साथ परस्पर संबंध कैसा था, यह सभी बातें अधिकांशतः बच्चे के लिंग से निर्धारित होती हैं। एक स्पष्ट भिन्नता जो हमें दिखाई देती हैं वह है उनका पहनावा ।

बाल्यावस्था क्या है बालक के विकास में परिवार की भूमिका का वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंबाल्यावस्था के विकास में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है | परिवार बालक के विकास की प्रथम पाठशाला है परिवार या घर समाज के न्यूनतम समूह इकाई है । परिवार मे बालक उदारता ,अनुदारता,निस्वार्थ ,स्वार्थ उसमें न्याय और अन्याय व सत्य औरअसत्य, परिश्रम एवं आलस में अंतर सीखता है।