प्राचीन काल में कौन सी कला का अभाव था?
इसे सुनेंरोकेंप्रागतिहासिक काल में मानव ने जंगली जानवरों बारहसिंघा, भालू , हाथी, आदि के चित्र बनाना सीख लिया था । महाराष्ट में स्थित कुछ गुफाओं में प्रागतिहासिक काल के चित्र बनता था, जिसका वह शिकार करता था । अनेक स्थानो पर मानव की कला के प्रमाण प्राप्त हुए हैं । इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय कला आदिकालीन है ।
वास्तु कला से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंभवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है।
कला का आरंभ कब हुआ था?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय कला की विशेषताएँ (१) प्राचीनता : भारतीय कला का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। भारतीय चित्रकारी के प्रारंभिक उदाहरण प्रागैतिहासिक काल के हैं, जब मानव गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी किया करता था। भीमबेटका की गुफाओं में की गई चित्रकारी ५५०० ई. पू.
कलाओं में सर्वप्रथम कला कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर- प्रागैतिहासिक काल की चित्रकला में वर्ग नहीं है। प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला का सर्वप्रथम विषय क्या था प्रागैतिहासिक कला का सर्वप्रथम विषय आखेट, शिकार था ।
भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में कौन से काल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है?
इसे सुनेंरोकेंशुंग/कुषाणकालीन मूर्तिकला प्रथम शताब्दी ईस्वी सन् से इस दौर में मूर्तियों के साथ-साथ प्रतिमाओं का भी प्रादुर्भाव हुआ तथा नवीन मूर्तिकला शैली का भी आगमन हुआ। प्रतीकात्मकता इस काल की मूर्तिकला की प्रधान विशेषता है।
प्राचीन भारत के प्रसिद्ध संगीतकार कलाकार कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय संगीत के इतिहास के महान संगीतकारों जैसे कि स्वामी हरिदास, तानसेन, अमीर खुसरो आदि ने भारतीय संगीत की उन्नति में बहुत योगदान किया है जिसकी कीर्ति को पंडित रवि शंकर, भीमसेन गुरूराज जोशी, पंडित जसराज, प्रभा अत्रे, सुल्तान खान आदि जैसे संगीत प्रेमियों ने आज के युग में भी कायम रखा हुआ है।
प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चित्रकार संगीतकार में कलाकार कौन थे?
राजा रवि वर्मा (१८४८ – १९०६) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया।…
राजा रवि वर्मा | |
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जन्म | 29 अप्रैल 1848 किलिमानूर, त्रावणकोर |
मृत्यु | 2 अक्टूबर 1906 (aged 58) किलिमानूर, त्रावणकोर |
व्यवसाय | चित्रकार |
हस्ताक्षर |
वास्तु कला और स्थापत्य कला में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंअसल में, दोनों अलग-अलग शब्द हैं। मूर्तिकला प्रोटो-इंडो-यूरोपीय (पीआईई) शब्द ‘केल’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ‘कट या क्लीव’। दूसरी ओर, शब्द वास्तुकला लैटिन शब्द ‘टेकटन’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है निर्माता (बिल्डर)।
थंगक कला शैली का आरंभ कब और कैसे हुआ?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: ऐसा विश्वास है कि बौद्ध धर्म का प्रचार करते हुए जब महान भिक्षुक गुरू भारत से तिब्बत आए तो शिक्षा और प्रचार की सामग्री में ये चित्र और हस्तलिपियाँ शामिल थीं। तिब्बती कलाकारों को इन चित्रों ने बड़ा प्रभावित किया और गौतम बुद्ध से संबंधित विषयों वाली इस शैली को अपनाते हुए उन्होंने, इसका नाम थंगक रखा।
कला के विविध रूप क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकलाओं के वर्गीकरण में मतैक्य होना सम्भव नहीं है। वर्तमान समय में कला को मानविकी के अन्तर्गत रखा जाता है जिसमें इतिहास, साहित्य, दर्शन और भाषाविज्ञान आदि भी आते हैं। आधुनिक काल में इनमें फोटोग्राफी, चलचित्रण, विज्ञापन और कॉमिक्स जुड़ गये हैं। कुछ कलाओं में दृश्य और निष्पादन दोनों के तत्त्व मिश्रित होते हैं, जैसे फिल्म।
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प्राचीन भारत में कला का क्या स्थान था?
इसे सुनेंरोकें(१) प्राचीनता : भारतीय कला का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। भारतीय चित्रकारी के प्रारंभिक उदाहरण प्रागैतिहासिक काल के हैं, जब मानव गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी किया करता था। भीमबेटका की गुफाओं में की गई चित्रकारी ५५०० ई. पू.