औद्योगिक क्रांति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
इसे सुनेंरोकेंआर्थिक प्रभाव स्वतंत्र कारीगर कारखानों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर सके, फलत: कुटीर उद्योग समाप्त हो गए। बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को रोज़गार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर जाना पड़ा। औद्योगिक केंद्रों के आस-पास नवीन नगरों का विकास हुआ। अब शहर आर्थिक गतिविधियों का आधार बन गए।
इसे सुनेंरोकेंऔद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप अनेक देशों की जनसंख्या में वृद्धि हुई। कृषि और उद्योग-धन्धों की उन्नति के कारण लोगों को पहले की अपेक्षा अच्छा भोजन मिलने लगा। इसके अतिरिक्त लोगों के जीवन स्तर में उन्नति होने तथा चिकित्सा की सुविधाओं के उपलब्ध होने से मृत्यु की गति भी काफी कम हो गई।
औद्योगिकीकरण का भारतीय अर्थ व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा वर्णन करें?
इसे सुनेंरोकेंऔद्योगिक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जोकि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है जैसे कि ऋण के बोझ को कम करना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्मनिर्भर वितरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परिदृय को वैविध्यपूर्ण और आधुनिक बनाना.
औद्योगिक क्रांति ने लोगों के रहन सहन के स्तर पर क्या प्रभाव डाला?
इसे सुनेंरोकेंसांस्कृतिक परिवर्तन : औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, धार्मिक मान्यता, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।
औद्योगीकरण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंविभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरण में सर्वथा नवीन तत्व समावेशित हो जाते हैं जो पर्यावरण के भौतिक एवं रासायनिक संघटकों को भी परिवर्तित कर देते हैं। कारखानों द्वारा उत्पन्न अवांछित उत्पाद यथा ठोस अपशिष्ट, प्रदूषित जल, विषैली गैसें, धूल, राख, धुआँ इत्यादि जल, थल तथा वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।
औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
इसे सुनेंरोकेंऔद्योगीकरण के फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, जो आर्थिक विकास की परिचायक है। औद्योगीकरण राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में आमूल-चूल परिवर्तन करता है। औद्योगीकरण के कारण वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होने से प्राचीन मान्यताएँ ध्वस्त हो जाती हैं। औद्योगीकरण पूँजीवाद का जनक है।