संविधान में आरक्षण कितने साल के लिए था?

संविधान में आरक्षण कितने साल के लिए था?

इसे सुनेंरोकें10 सालों के लिए उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए अलग से निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए गए हैं। (हर दस साल के बाद सांविधानिक संशोधन के जरिए इन्हें बढ़ा दिया जाता है). 1947-1950 – संविधान सभा में बहस.

जनरल का आरक्षण कितना है?

इसे सुनेंरोकेंसामान्य वर्ग को 10% आरक्षण सरकार ने जनवरी 2019 को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल [1] लाकर सवर्णों के लिए भी 10% आरक्षण प्रदान कर दिया है.

आरक्षण लागू कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंभारत सरकार अधिनियम में आरक्षण का प्रवाधान वहीं 1908 में अंग्रेजों द्वारा बहुत सारी जातियों और समुदायों के पक्ष में, प्रशासन में जिनका थोड़ा-बहुत हिस्सा था, के लिए आरक्षण शुरू किया गया। 1909 और 1919 में भारत सरकार अधिनियम में आरक्षण का प्रावधान किया गया

104 वां संविधान संशोधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंविधान में अंतिम संशोधन यह भारतीय संविधान का 104वां संसोधन था। इसके तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया और लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जानतयों एवं जनजानतयों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष के लिए और बढा दिया गया था

OBC आरक्षण कितना है?

इसे सुनेंरोकेंइसके लिए संविधान के अनुच्‍छेद 342ए, 338बी, 366 में संशोधन किया गया है। बिल पास होने के बाद राज्‍य सरकारें अपने हिसाब से जातियों को ओबीसी कोटे में शामिल कर सकेंगी। हालांकि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ही रहेगी

मंडल आयोग की सिफारिश को कब लागू किया?

इसे सुनेंरोकेंसन 1989 : लोकसभा चुनाव में जनता दल ने आयोग की सिफारिशों को चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया। 7 अगस्त 1990 : तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की।

भारत में ओबीसी की जनसंख्या कितने प्रतिशत है?

इसे सुनेंरोकेंआयोग को लोकप्रिय मंडल आयोग के रूप में जाना जाता है, इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल ने दिसंबर 1980 में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि ओबीसी की जनसंख्या, जिसमें हिंदुओं और गैर हिंदुओं दोनों शामिल हैं, मंडल आयोग के अनुसार कुल आबादी का लगभग 52% है।

SC ST आरक्षण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंSC का केंद्र सरकार से सवाल उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से पूछा कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के फैसले को उचित ठहराने के लिए उसने किस तरह के कदम उठाए हैं