आचार्य भारतीय संस्कृति का पोषक कैसे बनें?

आचार्य भारतीय संस्कृति का पोषक कैसे बनें?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय प्राचीन ग्रंथ : यदि हम धार्मिक ग्रंथों को छोड़ भी दें तो ऐसी बहुत-सी किताबें या ग्रंथ हैं, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अंग हैं, जैसे चीन, अरब या अमेरिका की प्राचीन पुस्तकें और साहित्य आज भी प्रचलन में हैं उसी तरह हमारे साहित्य को भी बचाने की जरूरत है।

भारतीय संस्कृति क्यों दुनिया में सबसे निराली है?

इसे सुनेंरोकेंरिश्तों में गर्माहट और उत्सवों में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आया। इस देश की उदारता और जिंदादिली ने बड़ी संख्या में सैलानियों को इस जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया, जिसमें धर्मों, त्यौहारों, खाने, कला, शिल्प, नृत्य, संगीत और कई चीजों का मेल है।

भारत की लम्बी सांस्कृतिक गाथा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं।

संस्कृति और परंपरा में क्या भेद है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति और परंपरा के बीच मुख्य अंतर यह है कि संस्कृति एक विशेष सामाजिक समूह के विचार, रीति-रिवाज और सामाजिक व्यवहार है जहाँ तक परंपरा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक रीति-रिवाजों और मान्यताओं का प्रसारण है। इन परिभाषाओं से, आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि परंपराएं भी संस्कृति का एक हिस्सा हैं।

ग्रामीण संस्कृति और परंपरा विलुप्त हो रही है इसको कैसे बचाए?

इसे सुनेंरोकेंकैसे बचाएं लोग नुस्खे : आप गांव के लोगों से बात करें। इस संबंध में किताबें खरीदकर पढ़ें और उसके ज्ञान को अपने बच्चों को भी बताएं। अधिक से अधिक घरेलू नुस्खे अपनाएं और उस अनुसार ही घर में चीजें रखें।

भारतीय संस्कृति पर क्या प्रभाव है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति साहित्य कर प्राण है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में संस्कृति के प्रभाव को देखा जा सकता है। यहाँ की संस्कृति के आधारभूत मूल्य दया, करूणा, प्रेम, शांति, सहिष्णुता, लचीलापन, क्षमाशीलता इत्यादि को भारतीय साहित्य में समुचित तरीके से अभिव्यक्ति दी गयी है।

संसार के लिए भारत की कौन सी व्यवस्था अनोखी है?

इसे सुनेंरोकेंजब भारत आजाद हुआ था तो दुनिया के मन में शक था कि भारत लोकतांत्रिक ढांचे पर कायम रह पाएगा या नहीं, लेकिन भारत में सफलतापूर्वक लोकतांत्रिक सरकार चलाकर दुनिया के सामने एक अनोखी मिसाल पेश की है। भारत में जिस विशाल स्तर पर चुनावों का आयोजन किया जाता है और सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता है ऐसी व्यवस्था संसार के लिए अनोखी है।

भारतीय संस्कृति कौन कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंभारत की संस्कृति बौद्ध, जैन, हिन्दू, मुस्लिम तथा वैदिक संस्कृतियों का सम्मिश्रण है। भारत में अनेक धर्मों के अनुयायी निवास करते हैं। अलग-अलग धर्म होने के बावजूद इनके नैतिक सिद्धान्तों में मूलभूत एकता है।

सांस्कृतिक अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है। यह ‘कृ’ (करना) धातु से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ की मूल स्थिति,यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है।

हमारी संस्कृति का मूल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत हमारी अस्मिता एवं संस्कृति का मूल आधार है। इसके मार्फत हम पुन: गौरवशाली अस्मिता को पा सकते हैं। संस्कृत के कारण ही पहले भारत विश्व गुरु था। संस्कृत के माध्यम से ही हम भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को जान सकते हैं।

भारतीय सांस्कृतिक विरासत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसांस्कृतिक विरासत एक समुदाय द्वारा विकसित और पीढ़ी से पीढ़ी को पारित कर दिया, सीमा शुल्क, प्रथाओं, स्थानों, वस्तुओं, कलात्मक अभिव्यक्ति और मूल्यों सहित रहने के तरीके की अभिव्यक्ति है। सांस्कृतिक विरासत अक्सर या तो अमूर्त या ठोस सांस्कृतिक विरासत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

संस्कृति से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं बताइए?

इसे सुनेंरोकेंकिसी समाज की संस्कृति से तात्पर्य उस समाज के व्यक्तियों के रहन-सहन एवं खान-पान की विधियों, व्यवहार प्रतिमानों, आचार-विचार, रीति-रिवाज, कला-कौशल, संगीत-नृत्य, भाषा-साहित्य, धर्म-दर्शन, आदर्श विश्वास और मूल्यों के उस विशिष्ट रूप से होता है जिसमें उसकी आस्था होती है और जो उसकी अपनी पहचान होते हैं।

हमारी संस्कृति एकता का मूल भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसवाल: हमारी सांस्कृतिक एकता निबंध का मूल भाव क्या है? हमारी सांस्कृतिक एकता निबंध का मूल भाव यह है की हमें अनेक विविधता में भी एकता को बनाये रखना चाइये। सभी धर्म पंथ के लोगों को आपस में जोड़कर रखना चाइये, इसके लिए सबको एक दूसरे के विभिन्न विचारों और विचारधाराओं का सम्मान करना चाइये।

संस्कृति क्या है रामधारी सिंह दिनकर?

इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति एक ऐसी चीज है जिसे लक्षणों से तो हम जान सकते हैं, किन्तु उसकी परिभाषा नहीं दे सकते। कुछ अंशों में वह सभ्यता से भिन्न गुण है। अंग्रेजी में कहावत है कि सभ्यता वह चीज है जो हमारे पास है, संस्कृति वह गुण है जो हममें व्याप्त है।