सिंचाई की आधुनिक तरीके कौन कौन से हैं?

सिंचाई की आधुनिक तरीके कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंये हैं आधुनिक और पारंपरिक सिंचाई के तरीके :- टपक (ड्रिप) सिंचाई प्रणाली ड्रिप प्रणाली सिंचाई की उन्नत विधि है, जिसके प्रयोग से सिंचाई जल की पर्याप्त बचत की जा सकती है। यह विधि मृदा के प्रकार, खेत के ढाल, जल के स्त्रोत के अनुसार अधिकतर फसलों के लिए अपनाई जा सकती हैं। इस विधि का उपयोग पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहा है।

सिंचाई के दो आधुनिक साधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंखेतों में सिंचाई के लिए ‘बूंद-बूंद’ और ‘फौव्वारा तकनीक’ के बाद अब रेनगन आ गयी है जो 20 से 60 मीटर की दूरी तक प्राकृतिक बरसात की तरह सिंचाई करती है। इसमें कम पानी से अधिक क्षेत्रफल को सींचा जा सकता है।

सिंचाई के पारंपरिक साधन कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकें➲ सिंचाई के अनेक पारंपरिक साधन रहे हैं, जिनमें नदी, तालाब, नहर, कुएँ, नलकूप आदि के प्रमुख हैं। ⏩ खेतों की सिंचाई के लिए नदी द्वारा सिंचाई, तालाब द्वारा सिंचाई, नहर के माध्यम से सिंचाई, कुएँ द्वारा सिंचाई, रहट द्वारा सिंचाई, बेड़ी से सिंचाई आदि परंपरागत साधनों के रूप में प्रयुक्त किए जाते रहे हैं।

सिंचाई की सर्वोत्तम विधि कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंसिंचाई की दो आधुनिक विधियां निम्नलिखित हैं: ड्रिप तंत्र: सिंचाई की इस विधि में जल बूंद-बूंद कर पौधे की जड़ में जाता है। यह फलदार पौधों और बगीचा को पानी देने का सर्वोत्तम तरीका है। छिड़काव तंत्र: सिंचाई किस विधि का उपयोग और समतल भूमि या जहां जल की मात्रा कम उपलब्ध हो वहां किया जाता है।

चेलवांजी कौन है?

इसे सुनेंरोकेंचेलवांजी अर्थात् चेजारो वह व्यक्ति है जो रेगिस्तानी इलाकों में कुंई खोदने के कार्य में कुशल होता है। इन क्षेत्रों में कुंई खोदना एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें छोटे से व्यास की तीस से साठ हाथ तक खुदाई और उसके साथ-साथ चिनाई करनी पड़ती है। खुदाई के समय ज़मीन की नमी और हवा के अभाव में दमघोंटू वातावरण रहता है।

सिंचाई की कितनी विधियां है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में मुख्यत: कृत्रिम रूप से फसलों एवं पेड़ पौधों में के लिए‌ सतही, अधोसतही, बौछारी एवं टपकेदार सिंचाई की विधियां उपयोग में लाई जाती है ।

बौछार विधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंबौछारी या स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी को छिड़काव के रूप में दिया जाता है। जिससे पानी पौधों पर वर्षा की बूंदों जैसी पड़ती हैं। पानी की बचत और उत्पादन की अधिक पैदावार के लिहाज से बौछारी सिंचाई प्रणाली अति उपयोगी और वैज्ञानिक तरीका मानी गई है। किसानों में सूक्ष्म सिंचाई के प्रति काफी उत्साह देखी गई है।

सिंचाई के कौन कौन से?

इसे सुनेंरोकेंभारत में मुख्य रूप से सिंचाई के साधन चार प्रकार के हैं (1) कुओं द्वारा सिंचाई, (2) नलकूपों द्वारा सिंचाई, (3) तालाबों द्वारा सिंचाई, (4) नहरों द्वारा सिंचाई। देश की कृषि भूमि का 38.7% शुद्ध सिंचित क्षेत्र है।

सिंचाई की परिभाषा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपौधों को जीवनकाल में अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है । प्राकृतिक रुप से जल की आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पाती अतः पौधे की वृद्धि एवं विकास के लिए कृत्रिम रुप से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है, जिसे सिंचाई (Irrigation in hindi) कहते हैं ।

मिनी स्प्रिंकलर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमिनी स्प्रिंकलर के बारे में: फसलों की उगाई के दौरान स्थायी सिस्टम प्रदान करता है, कटाई के दौरान आसानी से हटाया जा सकता है। इसकी सिंचाई से पानी सही तरह से ज़मीन के अंदर जाता है और समान रूप से सिंचाई होती है। यह फसल की ऊपर से, बार बार और हल्की सिंचाई करता है|(3-5mm/hr.)

ड्रिप और स्प्रिंकलर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयही नहीं ड्रिप सिंचाई व स्प्रिंकलर विधि का इस्तेमाल कर किसान कम पानी में फसलों को अधिक पानी दे सकते हैं। अगर आप ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करना चाहते हैं, तो इस योजना का लाभ ले सकते हैं। उद्यान विभाग इन्हें खरीदने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रहा है। इसके लिए किसानों को आवेदन करना होगा।