धरती कैसे अपने साथ अलग अलग मौसम लाती है?

धरती कैसे अपने साथ अलग अलग मौसम लाती है?

इसे सुनेंरोकेंपृथ्वी की धुरी के झुकाव के कारण ही उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों में वर्ष के एक ही समय अलग-अलग ऋतुएं होती हैं। जब उत्तरी गोलार्द्ध में भीषण गर्मी पड़ रही होती है तब दक्षिणी गोलार्द्ध में लोग ठंड से ठिठुर रहे होते हैं और जब उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दी की ऋतु आ जाती है तब दक्षिणी गोलार्द्ध में गर्मी पड़ती है।

ऋतुओं में परिवर्तन कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंऋतु परिवर्तन का कारण पृथ्वीद्वारा सूर्य के चारों ओर परिक्रमण और पृथ्वी का अक्षीय झुकाव है। पृथ्वी का डी घूर्णन अक्ष इसके परिक्रमा पथ से बनने वाले समतल पर लगभग 66.5 अंश का कोण बनता है जिसके कारण उत्तरी या दक्षिणी गोलार्धों में से कोई एक गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है।

ऋतुएँ तो और भी बदलती हैं पर बाहर भीतर ऐसा ऐसा कहाँ बदलता है इन पंक्तियों में लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए 10 12?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: किसी स्थान का ऋतु औसत मौसम है जो एक निश्चित समय में उसको प्रभावित करता है। पृथ्वी के पूरे इतिहास के दौरान ऋतु परिवर्तन होता रहा है। हमेशा ही स्पष्ट रूप से परिभाषित ग्रीष्म एवं शीत ऋतु रही है एवं इस परिवर्तन के प्रति सभी जीवन रूपों ने अपने आप को ढाल लिया है।

ऋतुओं के परिवर्तन से संसार की दशा कैसे बदलती है?

इसे सुनेंरोकेंयह झुकाव पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को भी प्रभावित करता है। इस झुकाव की वजह से ही पृथ्वी का एक गोलार्द्ध छह माह तक सूर्य की ओर झुका रहता है और अगले छह मास तक दूसरा गोलार्द्ध। यह क्रम निरंतर चलता रहता है। इसके फलस्वरूप ही ऋतुएं-वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत(शिशिर)- उत्पन्न होती हैं।

ऋतु परिवर्तन के आधार पर किस ऋतु में क्या प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: परिवर्तन प्रकृति का विशेष नियम है। वर्षा ऋतु भी परिवर्तन को दर्शाती है। जिस तरह वसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु आती है, उसी तरह ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु आती है।

ऋतुएँ तो और भी बदलती है पर बाहर भीतर ऐसा कहाँ बदलता है?

इसे सुनेंरोकेंसमताप मंडल में ओज़ोन की उपस्थिति विषुवत-रेखा के निकट अधिक सघन और सान्द्र है तथा ज्यों-ज्यों हम ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, धीरे-धीरे इसकी सान्द्रता कम होती जाती है। यह वहाँ उपस्थित हवाओं की गति, पृथ्वी की आकृति और इसके घूर्णन पर निर्भर करता है। ध्रुवों पर मौसम के अनुसार यह बदलता रहता है।