वाख में साँकल का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंसाँकल-जंजीर। भावार्थ-कवयित्री मनुष्य को मध्यम मार्ग को अपनाने की सीख देती हुई कहती है कि हे मनुष्य! तुम इन सांसार की भोग विलासिताओं में डूबे रहते हो, इससे तुम्हें कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है। तुम इस भोग के खिलाफ यदि त्याग, तपस्या का जीवन अपनाओगे तो मन में अहंकार ही बढ़ेगा।
वाख पाठ में कच्चा धागा किसका प्रतीक है?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न: ‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है? उत्तर: यहाँ रस्सी से कवयित्री का तात्पर्य स्वयं के इस नाशवान शरीर से है। उनके अनुसार यह शरीर सदा साथ नहीं रहता। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ देता है और इसी कच्चे धागे से वह जीवन नैया पार करने की कोशिश कर रही है
वाख पाठ में कवयित्री ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए कौन सा मार्ग अपनाया *?
इसे सुनेंरोकेंकवयित्री ने ईश्वर को सर्वव्यापी बताते हुए उसे हर जगह पर व्याप्त रहने वाला कहा है। वास्तव में ईश्वर का वास हर प्राणी के अंदर है परंतु मत-मतांतरों के चक्कर में पड़कर अज्ञानता के कारण मनुष्य अपने अंदर बसे प्रभु को नहीं पहचान पाता है। इस प्रकार कवयित्री का प्रभु सर्वव्यापी है
साहब को पहचानने का सच्चा साधन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तरः साहब (परमात्मा) को पहचानने का साधन भक्ति मार्ग है योग का टेढ़ा मार्ग नहीं। व्यक्ति को वे यही निर्देश देती हैं कि सीधी राह ;भक्ति मार्गद्ध से परमात्मा को प्राप्त करें, टेढ़ी राह से (त्याग मार्ग) से वह प्राप्त नहीं होता।
वाख कविता में नाव का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: नाव इस नश्वर शरीर का प्रतीक है। कवयित्री उसे साँसों की डोर रूपी रस्सी के सहारे खींच रही है
वाख की कवयित्री का क्या नाम है?’?
इसे सुनेंरोकेंउत्तरः कवयित्री-ललद्यद, कविता-वाख।
वाख में नाव किसका प्रतीक है?
इसे सुनेंरोकेंनाव इस नश्वर शरीर का प्रतीक है। कवयित्री उसे साँसों की डोर रूपी रस्सी के सहारे खींच रही है
वाख पाठ की कवयित्री का क्या नाम है?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 1 : कवयित्री ललद्यद द्वारा रचित ‘वाख’ का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए? उत्तर : कवयित्री ललद्यद ने अपने वाख के माध्यम से यह कहने का बल दिया है कि मनुष्य को धार्मिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर प्रभु भक्ति करनी चाहिए।
वाख पाठ में कवयित्री ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए कौन सा मार्ग अपनाया * भोग संन्यास हठयोग वनवास?
इसे सुनेंरोकेंइसलिए सच्चे मन से प्रभु की साधना करो, अपने अन्त:करण व बाह्य इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर हृदय में प्रभु का जाप करो, सुख व दुख को समान भाव से भोगों। यही उपाय कवियत्री ने सुझाए हैं। प्रश्न 6 : ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती।
मेरे संग की औरतें पाठ में मां जी ने चोर को बेटा कैसे बना दिया?
इसे सुनेंरोकेंउनकी दादी माँ ने यह जानते हुए भी कि वह चोर है उसको न डराया न धमकाया बल्कि सहजता पूर्वक उसे सुधार दिया। उन्होंने न सिर्फ़ उसके हाथ का पानी पिया अपितु उसी लोटे से पानी पिलाकर उसे अपना बेटा बना लिया। जिसके परिणामस्वरूप उस चोर ने चोरी करना छोड़कर खेतीबाड़ी कर अपना पूरा जीवनयापन किया।
समभावी का क्या अर्थ है class 9?
इसे सुनेंरोकेंसंभावी संस्कृत [विशेषण] 1. भविष्य काल का या भविष्य काल में होने वाला ; आगामी ; भविष्यकालीन 2. जो हो सकता हो या जिसके होने की संभावना हो ; संभावित ; संभाव्य
वाख कविता में नाव और रस्सी किसका प्रतीक है *?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: नाव इस नश्वर शरीर का प्रतीक है। कवयित्री उसे साँसों की डोर रूपी रस्सी के सहारे खींच रही है