गुप्तकाल में मूर्ति निर्माण के तीन केन्द कहाँ थे?

गुप्तकाल में मूर्ति निर्माण के तीन केन्द कहाँ थे?

इसे सुनेंरोकेंगुप्तकाल में मूर्तिकला के प्रमुख केन्द्र मथुरा, सारनाथ और पाटिलपुत्र थे।

चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत कब चलाया?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने संभवतः एक प्रकार की स्वर्णमुद्रा का प्रचलन किया, एवं महाराजाधिराज का विरुद धारण किया। प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर कह सकते हैं कि चंद्रगुप्त प्रथम ने समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया और संभवतः 380 ई. के लगभग उनके सुदीर्घ शासन का अंत हुआ। गुप्त संवत् का प्रारम्भ 319 ईस्वी में ही हुआ था ।

6 गुप्त काल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंगुप्तकाल में विज्ञान प्रौद्योगिकी से लेकर साहित्य, स्थापत्य तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में नये प्रतिमानों की स्थापना की गई जिससे यह काल भारतीय इतिहास में ‘स्वर्ण युग’ के रूप में जाना गया।

कौनसे यग सुवर्ण युग कहा जातब है?

इसे सुनेंरोकें1 Answer. हिंदी साहित्य काल में भक्तिकाल को स्वर्ण युग कहा जाता है.

गुप्त संवत को किसने और कब शुरू किया?

इसे सुनेंरोकें319 से 350 ई. के बीच का वह गुप्तशासक जिसने ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि धारण की थी-चन्द्रगुप्त प्रथम। वह साम्राज्य जिसका वास्तविक संस्थापक चन्द्रगुप्त प्रथम था-गुप्त साम्राज्य। → वह वर्ष जिसमें चन्द्रगुप्त प्रथम ने ‘गुप्त संवत्’ का प्रचलन आरम्भ किया-319-20 ई.।

विक्रम संवत की शुरुवात कब हुई?

इसे सुनेंरोकें’विक्रम संवत’ के उद्भव एवं प्रयोग के विषय में विद्वानों में मतभेद है। मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व ५७ में इसका प्रचलन आरम्भ कराया था। कुछ लोग ईसवी सन ७८ और कुछ लोग ईसवी सन ५४४ में इसका प्रारम्भ मानते हैं।

गुप्तकाल स्वर्ण युग क्यों कहलाया?

इसे सुनेंरोकेंगुप्तकाल ‘स्वर्ण युग’ क्यों कहलाया? क्योंकि इस काल में अधिक-से-अधिक शासकों ने शासन किया। क्योंकि इस काल में देश की सीमा बढ़ गई। क्योंकि इस काल में भारत का चहुँमुखी विकास हुआ।

गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंगुप्त सम्राटों के उदार दृष्टिकोण, कला प्रेम और संस्कृति के संरक्षण ने इसमें बहुमुखी प्रतिभा का उदय किया था। इन्हीं कारणों से गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग माना जाता है।

गुप्तकालीन मंदिरों में कौन सा उत्तर प्रदेश में स्थित है?

इसे सुनेंरोकेंभीतर गाँव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहाँ गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष उपलब्ध है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है।

गुप्त काल को भारत का स्वर्णयुग क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंव्यक्ति से समाज और समाज से देश का निर्माण होता हैइसी नियम के चलते जहां एक ओर समाज का हर व्यक्ति सुखी व संपन्न था वही गुप्त काल में कला और विज्ञान को एक समान सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त थी यही भारत के स्वर्ण युग की पहचान मानी जाती है।

गुप्त काल कब से कब तक चला?

इसे सुनेंरोकेंइसका शासन काल (320 ई. से 335 ई. तक) था। पुराणों तथा हरिषेण लिखित प्रयाग प्रशस्ति से चन्द्रगुप्त प्रथम के राज्य के विस्तार के विषय में जानकारी मिलती है।

गुप्तकालीन मंदिर में कौन सा उत्तर प्रदेश में स्थित है?

इसे सुनेंरोकेंभीतर गाँव, उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित है। यहाँ गुप्तकालीन एक मंदिर के अवशेष उपलब्ध है जो गुप्तकालीन वास्तुकला के सुंदर नमूनों में से एक है। ईटों का बना यह मंदिर अपनी सुरक्षित तथा उत्तम साँचे में ढली ईटों के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

गुप्त काल का अंतिम शासक कौन था?

इसे सुनेंरोकेंविष्णुगुप्त को आमतौर पर गुप्त साम्राज्य का अंतिम मान्य शासक माना | है। उसका शासन काल 10 वर्षों तक (540 से 550 ई. तक) रहा। महान | साम्राज्य की स्थापना श्रीगुप्त द्वारा की गई थी।

गुप्त संवत कब प्रारंभ हुआ?

इसे सुनेंरोकेंचंद्रगुप्त प्रथम ने अपने शासन काल में एक नया संवत चलाया ,जिसे गुप्त संवत कहा जाता है। यह संवत गुप्त सम्राटों के काल तक ही प्रचलित रहा बाद में उस का चलन नहीं रहा। चन्द्रगुप्त प्रथम ने एक संवत ‘गुप्त संवत’ (319-320 ई.) के नाम से चलाया।

गुप्तकालीन मंदिर कौन कौन से हैं?

गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण मंदिर

  • विष्णुमंदिर तिगवा (जबलपुर मध्य प्रदेश)
  • शिव मंदिर भूमरा (नागोद मध्य प्रदेश)
  • पार्वती मंदिर नचना-कुठार (मध्य प्रदेश)
  • दशावतार मंदिर देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश)
  • शिवमंदिर खोह (नागौद, मध्य प्रदेश)
  • भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित)