सल्फर कितने प्रकार का होता है?

सल्फर कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंसल्फर तीन प्रकार के होते हैं- अधातु सल्फाइड, धातु सल्फाइड और कार्बनिक सल्फाइड, जोकि दानेदार, पाउडर और तरल रूप में होते हैं.

लहसुन की खेती में कौन सा खाद डालना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंसामान्यतौर पर प्रति हेक्टेयर 20-25 टन पकी गोबर खाद या 5-8 टन वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए। साथ ही 100 कि. ग्रा. नत्रजन, 50 कि.

लहसुन कितने दिन में तैयार होता है?

इसे सुनेंरोकें150-160 दिनों में तैयार हो जाती है पैदावार 150-160 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है। शल्क कन्द ठोस त्वचा सफेद गुदा , क्रीम रंग का होता है। पैदावार 130.140 क्विन्टल प्रति हेक्टयर हो जाती है। फसल 165-170 दिनों में तैयारी हो जाती है।

लहसुन की अधिक पैदावार के लिए क्या करें?

इसे सुनेंरोकेंलहसुन की खेती करने के लिए किसान भाई पहले खेत की दो से तीन बार अच्छे से जुताई करा लें. इसके बाद इसमें अच्छी मात्रा में खाद डालें. एक हेक्टेयर खेत में 100 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस, पोटाश और सल्फर का प्रयोग करें. 100 किलो नाइट्रोजन एक ही बार खेत में नहीं डालना है.

धान में सल्फर क्या काम करता है?

इसे सुनेंरोकेंमिट्टी की अम्लता को बढ़ाता है या क्षारीय मिट्टी के लिए पी एच को कम करता है। नाइट्रोजन, फास्फेट व सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपयोगिता को बढ़ाता है । सल्फेट के रूप में परिवर्तित होने तक लींचिंग को रोकता है । ये सुनिश्चित करते हुये की पौधे भूमि से अधिकतम मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करें, जड़ों की वृद्धि दर का विकास करता है ।

सल्फर कौन सी कंपनी का अच्छा होता है?

इसे सुनेंरोकेंGreatindogardens ग्रेड A सल्फर 90% बेंटोनाइट 1000 ग्राम प्लांट फ़र्टिलाइज़र : Amazon.in: बाग-बगीचा और आउटडोर

धान में सल्फर का प्रयोग कब करें?

इसे सुनेंरोकेंसल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच को कम करता है। चूना युक्त पथरीली चिपचिपी मिट्टी में सल्फर का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

सल्फर का उपयोग कब करें?

आइए जानते है सल्फर के उपयोग पर :

  1. प्रोटीन के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान।
  2. पत्तियों में पर्णहरित के निर्माण में सहायक।
  3. पौधों में एंजाइमों की क्रियाशीलता को बढ़ता है।
  4. सरसों के तेल में गुल्कोसाइड के निर्माण में सहायक होता है।
  5. तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा का प्रतिशत बढ़ाता है।