पारिवारिक न्यायालय से क्या आशय है?

पारिवारिक न्यायालय से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंपारिवारिक न्यायालय पारिवारिक और घरेलू संबंधों से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई करते हैं। प्रत्येक राज्य और प्रत्येक देश में तलाक के मामलों के निर्णय सहित पारिवारिक कानून के मामलों को संबोधित करने के लिए एक अलग प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

कुटुम्ब न्यायालय में क्या होता है?

इसे सुनेंरोकें, कुटुम्ब न्यायाल पारिवारिक विवादों के निराकरण के लिए गठित विशेष प्रकार के न्यायालय हैं संक्षिप्त में, यह न्यायालय विवाद, तलाक, भरणपोषण, संरक्षण एवं पति-पत्नी की सम्पति से संबंधित वादों का निराकरण करते हैं। इनका गठन कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम, 1984 ( अधिनियम संख्या 83) के अंतगर्त किया गया है ।

फैमिली कोर्ट की स्थापना कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंशादी विवाह और पारिवारिक बातों से संबंधित विवादों में सुलह और समझौते कराने और विवादों को जल्द निपटने के लिए 1984 में फैमिली कोर्ट एक्ट पारित किया गया था। इस एक्ट के तहत हर नगर में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना की गई है।

ग्राम न्यायालय अधिनियम के अनुसार ग्राम न्यायालय कौन से मामलों की सुनवाई कर सकता है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का लागू होना-ग्राम न्यायालय साक्ष्य के रूप में ऐसी किसी रिपोर्ट, कथन, दस्तावेज, सूचना या विषय को ग्रहण कर सकेगा जो, उसकी राय में, किसी विवाद को प्रभावी रूप से निपटाने में उसकी सहायता करता हो, चाहे वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) के अधीन अन्यथा सुसंगत या ग्राह्य हो या नहीं ।

सक्षम न्यायालय क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंजब तक उनकी अधिकारिता में कमी न कर दी जाए अथवा उसे निराकृत न कर दिया जाए तब तक सिविल न्यायालय प्रत्येक प्रकार के सिविल विवाद का निर्णय करने में सक्षम न्यायालय हैं- ये विवाद चाहे व्यक्तियों के बीच हों , व्यक्तियों और लोक प्राधिकारियों के बीच हों , ये प्राधिकारी भारत सरकार के हों चाहे राज्य सरकारों के अथवा विधि द्वारा …

ग्राम न्यायालय में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति कौन करता है?

इसे सुनेंरोकें5. न्यायाधिकारी की नियुक्ति-राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के परामर्श से, प्रत्येक ग्राम न्यायालय के लिए एक न्यायाधिकारी की नियुक्ति करेगी ।

सेक्शन 9 क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदू विवाह कानून में विवाह अधिकारों की बहाली का उल्लेख धारा 9 में किया गया है। यह शादी को बचाने के लिए रहता है। यह अधिकार विशुद्ध रूप से पति-पत्नी के बीच रहता है।