कौन सा क्षेत्र वर्षा छाया क्षेत्र है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: भारत में पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश का प्रमुख उदाहरण है। पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल पर कई स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 300 सेमी.
दृष्टि छाया क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकिसी पर्वत श्रेणी के पवन विमुखी ढाल (lee ward slope) पर स्थित क्षेत्र जहाँ औसत वर्षा अपेक्षाकृत् अत्यल्प होती है। पर्वतश्रेणी के पवनाभिमुख ढाल पर आर्द्र हवाएं ऊपर उठती हैं और इनके संघनन से इस भाग पर भारी वर्षा होती है।
बारिश कितने प्रकार का होता है?
वर्षा तीन प्रकार की होती है :
- संवहनीय वर्षा (Convectional rain)
- पर्वतकृत वर्षा (Orographical rain)
- चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic rain)
दक्षिण पश्चिम मानसून से वृष्टि छाया क्षेत्र कहाँ बनता है?
इसे सुनेंरोकेंइसके बाद ये गुजरात में सैराष्ट्र वाले क्षेत्र में गिर और माण्डव पहाड़ियों से टकराकर वर्षा करती है जिसके कारण गुजरात का बाकी हिस्सा वृष्टि छाया क्षेत्र या वर्षा छाया क्षेत्र में आ जाता है, अतः अधिकतर भाग सूखा रह जाता है।
अधिक वृष्टि वाला क्षेत्र कौन सी नहीं है?
इसे सुनेंरोकेंतेलंगाना, विदर्भ(महाराष्ट्र) एवं उत्तरी कर्नाटक वाला क्षेत्र वृष्टि छाया क्षेत्र। यहां पर कटीली मोटी झाड़ियाँ पायी जाती है। इसी कारण से गुजरात में भी दक्षिण-पश्चिमी मानसून से वर्षा नहीं हो पाती है। क्योंकि गुजरात का क्षेत्र गिर एवं माण्डव पहाड़ियों की वृष्टि छाया क्षेत्र में आता है।
पवन विमुख ढाल क्या होती है?
इसे सुनेंरोकेंहवाएं पर्वत के जिस ढाल से टकराती है उसे पवन सम्मुख ढाल कहते हैं और हवाएं पर्वत के जिस ढाल के सहारे नीचे उतरती हैं उस स्थान को पवन विमुख ढाल कहते हैं। – मानसूनी हवाएं पवन विमुख ढाल पर वर्षा नहीं करा पाती हैं या बहुत कम कराती है इसलिए पवन विमुख ढाल को वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं।
पर्वतीय वर्षा का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंआर्द्र हवाओं के मार्ग में किसी पर्वत की स्थिति के कारण हवाओं के ऊपर उठने तथा संघनन होने के परिणामस्वरूप होने वाली वर्षा।
पश्चिमी घाट का कौन सा भाग दृष्टि छाया में पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश का प्रमुख उदाहरण है। पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल पर कई स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 300 सेमी. से भी अधिक है जबकि इसके पूर्वी ढाल (वृष्टि छाया प्रदेश) पर अति अल्प वर्षा होती है और कुछ स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 60 सेमी. से भी कम पायी जाती है।