सहायक शिक्षण सामग्री क्या है?
इसे सुनेंरोकेंउपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सहायक सामग्री वह सामग्री, उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में छात्रों और समूहों के मध्य प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता है।
अधिगम सामग्री से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंवह सामग्री जो शिक्षा को सरल, सुगम, आकर्षक, हृदयग्राही तथा बोधगम्य बनाती हो तथा शिक्षण में मददगार सामग्री, शिक्षण अधिगम सामग्री (TLM) कहलाती है। शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री (Teaching Aids) सोच और खोज की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करती है।
टी एल एम का मतलब क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा जगत में ऐसे उदाहरणों व उत्पादों को जिनकी मदद से बच्चों को विषय सीखने में आसानी हो या उनमें सीखने की ललक पैदा हो, उन्हें शिक्षण अधिगम सामग्री यानी टीएलएम कहते हैं।
अधिगम के स्रोत कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंको ही नहीं अपितु शिक्षण का प्रविधियों अथवा युक्तियों को भी प्रभावशाली बनाने में रामबाण का कार्य करती है शिक्षण अधिगम स्त्रोत के अंतर्गत चलचित्र, सिनेमा, समाचार संबंधी फिल्म तथा दूरदर्शन एवं अभिनय आदि उन सभी साधनों को सम्मिलित किया जाता है जिनकी सहायता से विद्यार्थियों की पाठ में रूचि बनी रहे तथा वे उसे सरलतापूर्वक समझ …
गणित शिक्षण के लिए सबसे प्रभावी सहायक सामग्री कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंगणित विषय में श्यामपट्ट का अत्यधिक महत्व है ! इसकी अनुपस्थिति में गणित का शिक्षण कार्य अत्यधिक कठिन है ! सभी समस्याओं के हल अंकगणित, बीजगणित व रेखा गणित के श्यामपट्ट पर किए जाते हैं ! श्यामपट्ट पर चित्र और चित्रों की सहायता से प्रश्नों के हल बहुत ही सुविधाजनक तरीके से हो जाते हैं !
निम्न में से कौन सा श्रव्य दृश्य सामग्री है?
श्रव्य – रेडियो, टेप, रिकार्डर, तथा अध्यापन यन्त्र
गणित शिक्षण में सहायक सामग्री का उपयोग क्यों किया जाता है?
शिक्षण सहायक सामग्री का महत्व
- विषय वस्तु को सरल, रूचिकर , स्पष्ट , प्रभावशाली , तथा स्थाईत्व बनाती है ।
- पठन-पाठन में नवीनता लाती है
- ये रटने की प्रवृत्ति को कम करती है
- ये विघार्थियो में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है ।
- कक्षा में अनुशासन बना रहती है क्योकि बच्चो में रूचि पैदा करती है
गणित में सहायक सामग्री से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसहायक सामग्री का अर्थ शिक्षण के उन उपकरणों से हैं जिनका कक्षा में प्रयोग करने से छात्रों को देखने तथा सुनने वाली इन्द्रियों से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता हैं। दृश्य-श्रव्य सामग्री का मनोवैज्ञानिक आधार से बालक उस ज्ञान को स्थायी रूप से अपने मस्तिष्क में धारण कर सकते हैं।