रेडियो नाटक एवं मंचीय नाटक में क्या अंतर है?

रेडियो नाटक एवं मंचीय नाटक में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंरंगमंचीय नाटक और रेडियो नाटक में बहुत अन्तर है। रंगमंचीय नाटकों में दृश्य तथा श्रव्य तत्व विद्यमान है , जबकि रेडियो नाटक मात्रा श्रव्य है। रंगमंचीय नाटक के मंचन के लिए प्रेक्षागार , खुला मंच की आवश्यकता होती है जहाँ मंच बनाया जा सके।

मंचीय नाटक क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअपने वर्तमान रूप में यह पूंजीवादी तथा सामंती शोषण के अधीन रहने वाले श्रमजीवी वर्ग की विशिष्ट आवश्यकताओं से उत्पन्न हुआ कला रूप है और यह बीसवीं सदी की ऊपज है । मूल रूप में यह विरोध का एक संघर्षशील राजनीतिक थियेटर है । इसका काम है, जन-साधारण को आंदोलित करके उन्हे संघर्षरत संगठनों के पीछे लामबंद करना ।

रचनात्मक नाटक से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंबाबू गुलाबराय के अनुसार ” नाटक मे जीवन की अनुकृति को शब्दगत संकेतों मे संकुचित करके उसको सजीव पात्रों द्वारा एक चलते-फिरते सप्राण रूप में अंकित किया जाता है। नाटक मे फैले हुए जीवन व्यापार को ऐसी व्यवस्था के साथ रखते है कि अधिक से अधिक प्रभाव उत्पन्न हो सके। नाटक का प्रमुख उपादान है उसकी रंगमंचीयता।

Iv आमतौर पर रेडियो नाटक की अवधि कितनी होनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंकोई भी रेडियो नाटक की अवधि 15 से 30 मिनट के बीच ही होनी चाहिए। इससे अधिक रेडियो अवधि के नाटक नहीं होते।

नाटक से आप क्या समझते हैं नाटक के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- नाटक:- नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है।

धारावाहिक संवाद लेखन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंधारावाहिक के संवाद विस्तार रूप लिए होते हैं और धारावाहिकों के संवाद की शैली ऐसी होती है कि वे कहानी को दूर तक ले जाते हैं, जबकि फिल्मों के संवाद उसी समय अपनी बात कह देने की क्षमता रखते हैं, ताकि कहानी को जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सके।

रेडियो नाटक की अवधि छोटी क्यों रखी जाती है?`?

इसे सुनेंरोकेंरेडियो नाटक की अवधि इससे अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि रेडियो नाटक को सुनने के लिए मनुष्य की एकाग्रता की अवधि 15 से 30 मिनट तक की होती है, इससे ज्यादा नहीं। दूसरे रेडियो एक ऐसा माध्यम है जिसे मनुष्य अपने घर में अपनी इच्छा अनुसार सुनता है। इसलिए रेडियो नाटक की अवधि सीमित होनी चाहिए।

नाटक के हर एक अंक की अवधि कम से कम कितने मिनट की होनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकें30-40 मिनट की अवधि के नाटक में 8 से 12 पात्र । अगर एक घंटे या उससे ज्यादा अवधि का रेडियो नाटक लिखना ही पड़ जाए, तो उसमें 15 से 20 भूमिकाएँ गढ़ी जा सकती हैं।

संवाद लेखन कैसे लिखा जाता है?

संवाद की भाषा सरल तथा सहज होनी चाहिए।

  • संवाद लेखन में सरल तथा छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • भाषा सुनने वाले के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
  • संवाद लेखन में किसी एक पात्र के कथन को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहिए।
  • भाव विचारों की पुनरुक्ति से बचना चाहिए।