ऊंचे ऊंचे बाजार का नियंत्रण कैसे होता है?

ऊंचे ऊंचे बाजार का नियंत्रण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है। यह इच्छा जगाता है। हर आदमी को चीज की कमी महसूस होती है। चाह और अभाव मनुष्य को पागल कर देता है।

बाजार माल देखने के लिए क्यों आमंत्रित करता है?

इसे सुनेंरोकेंबाजार के आमंत्रण की यह विशेषता होती है कि उसमें किसी भी प्रकार का आग्रह नहीं होता। यदि आग्रह हो तो उससे तिरस्कार का भाव जागता है। 3. ऊँचे बाजार के आमंत्रण को मूक इसलिए कहा गया है क्योंकि उससे हमारे मन में खरीदने की इच्छा उत्पन्न होती है।

मुझे बाजार का निमंत्रण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंइस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे चाह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफ़ी नहीं है और चाहिए, और चाहिए।

कौन आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो?

इसे सुनेंरोकेंबाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्‍हारे लिए हूँ।

चूरन बेचने वाले भगत जी कैसे व्यक्ति हैं?

इसे सुनेंरोकेंभगत जी को अपनी सीमित आवश्यकता जीरा और नमक से अधिक किसी वस्तु को बाजार से खरीदने की जरूरत नहीं होती। छः आने की कमाई होते ही वह चूरन बेचना बन्द कर देते थे तथा शेष चूरन बच्चों में मुफ्त दे देते हैं। उनको बाजार में बिकने वाली अन्य चीजों में कोई आकर्षण नहीं प्रतीत होता तथा जरूरत से अधिक धनोपार्जन में भी उनकी रुचि नहीं होती।

ठाठ देख कर मन को बंद करना क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसत्य इच्छाओं का निरोध कर लोगे, यह झूठ है और अगर ‘इच्छानिरोधस्तपः’ का ऐसा ही नकारात्मक अर्थ हो तो यह तप झूठ है। वैसे तप की राह रेगिस्तान को जाती होगी, मोक्ष की राह वह नहीं है। ठाठ देकर मन को बंद कर रखना जड़ता है।

सभी पर बाजार का जादू क्यों नहीं चल सकता है भगत जी का उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का सशक्त पहलू उनका अपने ऊपर का ‘मन नियंत्रण’ उभरकर आता है। बाज़ार उन्हें कभी भी आकर्षित नहीं कर पाता वे केवल अपनी जरुरत भर सामान के लिए बाज़ार का उपयोग करते हैं।

बाजारूपन से क्या तात्पर्य है किस प्रकार के लोग बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं?

इसे सुनेंरोकें’बाजा़रूपन’ से तात्पर्य है दिखावे के लिए बाजार का उपयोग करना। जब हम अपनी क्रय शक्ति के गर्व मे अपने पैसे से केवल विनाशक शक्ति-शैतानी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति बाजार को देते हैं तब हम बाजार का बाजा़रूपन बढ़ाते हैं। इस प्रवृत्ति से न हम बाजार से लाभ उठा पाते हैं और न बाजा़र कौ सच्चा लाभ देते हैं।

बाज़ार दर्शन पाठ का क्या संदेश है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बाजार दर्शन से लेखक का अभिप्राय है बाज़ार के दर्शन करवाना अर्थात् बाज़ार के बारे में बताना कि कौन-कौन सी चीजें मिलती हैं कि वस्तुओं की बिक्री ज्यादा होती है। यह बाज़ार किस तरह आकर्षित करता है। लोग क्यों बाज़ार से ही आकर्षित होते हैं।

बाज़ार को सार्थकता कौन देता है?

इसे सुनेंरोकेंबाजार को सार्थकता वे व्यक्ति देते हैं जो अपनी आवश्यकता को जानते हैं। वे बाजार से जरूरत की चीजें खरीदते हैं जो बाजार का दायित्व है। ‘पर्चेजिंग पावर’ का अर्थ है-खरीदने की शक्ति। पर्चेजिंग पावर वाले लोग बाजार को विनाशक शक्ति प्रदान करते हैं।

बाजार किस प्रकार आमंत्रित करता है और उसकी क्या विशेषता है?

चूरन बेचने वाले को लोग क्या करते थे?

इसे सुनेंरोकें5. चूरन बेचने वाले को क्या कहते थे? (घ) व्यास जी। 6.