चौसठ योगिनी का मतलब क्या होता है?

चौसठ योगिनी का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंचौँसठ योगिनीयोँ का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।

चौसठ योगिनी कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंएक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओ से युक्त होता है वही एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओ से युक्त होती है , दोनों के मिलन से बनते है 32 + 32 = 64, तो ये माना जा सकता है 64 योगिनी शिव और शक्ति जो सम्पूर्ण कलाओ से युक्त हैं उनके मिलन से प्रगट हुई हैं । चौसठ योगिनियों की पूजा करने से सभी देवियों की पूजा हो जाती है।

चौसठ योगिनी कौन कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंचौंसठ योगिनियों में प्रमुख है ये 8 योगिनियां मनोहरा योगिनी, 3. कनकवती योगिनी, 4. कामेश्वरी योगिनी, 5. रति सुंदरी योगिनी, 6.

यक्षिणी का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंयक्षिणी (या यक्षी ; पालि: यक्खिनी या यक्खी ) हिंदू, बौद्ध और जैन धार्मिक पुराणों में वर्णित एक वर्ग है जो देवों (देवताओं), असुरों (राक्षसों), और गन्धर्वों या अप्सराओं से अलग हैं। यक्षिणी और यक्ष, भारत के सदियों पुराने पवित्र पेड़ों से जुड़े कई अपसामान्य प्राणियों में से एक हैं।

यक्षिणी कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकें8 यक्षिणी होती हैं प्रमुख जिस तरह धर्म ग्रंथों में 33 देवता बताए गए हैं, उसी तरह 64 यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं। इनमें से निम्न 8 यक्षिणियां प्रमुख मानी जाती हैं।

क्या यक्षिणी खतरनाक हैं?

इसे सुनेंरोकेंतंत्रो के अनुसार, रतिप्रिया यक्षिणी, साधक से संतुष्ट होने पर 25 स्वर्ण मुद्राएं प्रदान करती हैं। इसी तरह सुसुन्दरी यक्षिणी, धन तथा संपत्ति सहित, पूर्णायु, अनुरागिनी यक्षिणी, 1000 स्वर्ण मुद्राएं, जलवासिनी यक्षिणी, भिन्न प्रकार के नाना रत्नों को, वटवासिनी यक्षिणी, नाना प्रकार के आभूषण तथा वस्त्र को प्रदान करती हैं।

क्या यक्षिणी सच में है?

यक्षिणी कैसे सिद्ध करें?

yakshini sadhna करने के नियम :

  1. मांसरहित भोजन का त्याग कर दे और सात्विक भोजन का आहार ले।
  2. प्रातः कल स्नान करके मृग चर्म पर बैठ जाये और किसी का स्पर्श न करे।
  3. एकांत में मंत्र जप करे जब तक यक्षिणी प्रकट न हो जाए।
  4. मंत्र सीमा के समय आपकी इच्छाशक्ति भी प्रबल होनी चाहिए ताकि मंत्र का प्रभाव बढ़ता रहे।

यक्षिणी को कैसे प्राप्त करें?