संक्षेपण के विषय गत नियम क्या है तथा संक्षिप्तीकरण में किन तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए?

संक्षेपण के विषय गत नियम क्या है तथा संक्षिप्तीकरण में किन तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए?

संक्षेपण की प्रक्रिया

  • संक्षेपण करते समय सबसे पहले मूल अनुच्छेद या विषय-वस्तु को एकाधिक बार ध्यान पूर्वक पढ़ लेना चाहिए।
  • मूल अनुच्छेद को पढ़ने के बाद महत्त्वपूर्ण तथ्यों, बातों तथा विचारों को रेखांकित कर लिया जाना चाहिए।
  • इसके बाद मूल में व्यक्त किए गए विचारों, भावों तथा तथ्यों को क्रमबद्ध कर लेना चाहिए।

संक्षेपण और पल्लवन में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंसंक्षेपण का अर्थ होता है – संक्षिप्त या छोटा रूप। इसमें विस्तृत विषय को संक्षेप में दिया जाता है | भाव-पल्लवन का अर्थ होता है – विस्तृत या बड़ा रूप। इसमें किसी उक्ति या विचार-सूत्र का विस्तार से विवेचन किया जाता है। इसके विपरीत भाव-पल्लवन मूल अर्थ या केंद्रीय भाव को विस्तार से समझाने का प्रयत्न करता है।

पल्लवन से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी निर्धारित विषय जैसे सूत्र-वाक्य, उक्ति या विवेच्य-बिन्दु को उदाहरण, तर्क आदि से पुष्ट करते हुए प्रवाहमयी, सहज अभिव्यक्ति-शैली में मौलिक, सारगर्भित विस्तार देना पल्लवन (expansion) कहलाता है।

गद्यांश का सार कैसे लिखें?

इसे सुनेंरोकेंजिस भी गद्यांश या पद्यांश का सार लिखना है, उसे बार-बार (अर्थ ग्रहण करते हुए) पढ़िए। कठिन शब्दों के अर्थ अवश्य समझने चाहिए। भाव और विचारों की पुनरावृत्ति छोड़ दें। विशेषणों का अनावश्यक प्रयोग न करें।

अवतरण का केंद्रीय भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्रायः मूल अवतरण से संक्षेपण एक-तिहाई होता है। इसके लिए आप सभी शब्दों को गिन कर उनमें तीन का भाग दे दें और जितनी संख्या आए उतने ही शब्दों में अवतरण का केंद्रीय भाव अपनी भाषा में लिख देना चाहिए।

पल्लवन कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंलेखन की इस क्रिया को हिन्दी में ‘पल्लवन’ कहते हैं तथा वृद्धीकरण, विशदीकरण, संवर्द्धन, भाव-विस्तार आदि पल्लवन के अन्यान्य नाम हैं। जब किसी विचार को कम-से-कम शब्दों में प्रकट किया जाता है या उसे सूक्तियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, तो उसके अर्थ को ग्रहण करने में कठिनाई होती है।

पल्लवन क्या है इसकी आवश्यकता एवं विशेषताएं?

इसे सुनेंरोकेंछोटे-छोटे वाक्यों या वाक्य खंडों में बंद विचारों को खोल देना, फैला देना, विस्तृत कर देना ही पल्लवन है। (७) क्रमबद्धता – पल्लवन में विचारों में, अभिव्यक्ति में क्रमबद्धता का बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है। (८) सहजता – पल्लवन का सहज रूप सभी को आकर्षित करता है। (९) स्पष्टता – पल्लवन में स्पष्टता का होना अति आवश्यक है।