आशापुरा माता का मंदिर कौन से जिले में है?

आशापुरा माता का मंदिर कौन से जिले में है?

इसे सुनेंरोकेंमाँ आशापुरा आदिशक्ति शाकम्भरी का ही एक नाम है जिनका प्रमुख शक्तिपीठ सहारनपुर उत्तर प्रदेश मे है।

आशापुरा माता किसकी कुलदेवी है?

इसे सुनेंरोकेंआशापुरा को कच्छ की कुलदेवी माना जाता है और बड़ी तादाद में इलाके के लोगों की उनमें आस्था है. आशापुरा माता को कई समुदायों द्वारा कुलदेवी के रूप में माना जाता है, और मुख्यत: नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया राज्य के शासक वंश चौहान, जडेजा राजपूत, कच्छ, की कुलदेवता है.

नाडोल कौन से जिले में?

इसे सुनेंरोकेंनाडोल राजस्थान के पाली जिले की देसूरी तहसील का एक नगर है। यहाँ स्थित आशापुरा माता के मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं।

आशापुरा माताजी का दिन कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंकाकाजी गंगदेव व मोद पाल ने मिलकर वीरता दिखाई। मोद पाल के शरीर पर 84 घाव लगे। आशापुरा माता को दुखहरण माता भी कहा जाने लगा। विक्रम संवत् 1352 जेठ सुदी अष्टमी को आशापुरा माता ने मोद पाल को सपना दिया कि मेरी प्रतिमा को रथ में रखकर मालवा की ओर चल दो, जहां पर रथ रुक जाए वहां पर शासन जमा लेना।

नाडोल में कौन सी माताजी का मंदिर है?

इसे सुनेंरोकेंआज भी नाडोल में आशापुरा माँ का मंदिर लक्ष्मण के चौहान वंश के साथ कई जातियों व वंशों के कुलदेवी के मंदिर के रूप में ख्याति प्राप्त कर उस घटना की याद दिलाता है। आशापुरा माँ को कई लोग आज आशापूर्णा माँ भी कहते है और अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है।

आशापुरा का जन्म कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंशक्ति पीठ के रूप में शुमार वागड़ के निठाउवा में स्थापित मां आशापुरा पूरे वागड़ की नहीं मेवाड़, मारवाड़ और गुजरात के साथ मध्यप्रदेश के हजारोंं-हजार भक्तों की आराध्य देवी है।

आशापुरी माता का जन्म कब हुआ?

इसे सुनेंरोकें3. पुराणों के अनुसार आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था।

सुंधा माता किसकी कुलदेवी है?

इसे सुनेंरोकेंत्रिपुर राक्षस का वध करने के लिए आदि देव की तपोभूमि यहीं मानी जाती है। इसके अलावा चामुंडा माता की मूर्ति के पास एक शिवलिंग स्थापित है और वैदिक कर्मकांड को मानने वाले श्रीमाली ब्राह्मण समाज के उपमन्यु गौत्र के यह कुलदेवता हैं तथा यही नागिनी माता स्थित है, जो इनकी कुलदेवी हैं।

आशापुरा माताजी कितना किलोमीटर?

इसे सुनेंरोकेंदेवी मां का ये मंदिर गुजरात के कच्छ में है। ये भुज से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित है। 2. आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था।

नागणेची माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंजोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने राठौड़ों की कुलदेवी माता नागणेच्या मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 1523 में मेहरानगढ़ में की थी। इतिहास के पन्नों में राठौड़ों का मारवाड़ आगमन 13वीं शताब्दी के मध्य माना गया है।

सुंधा माता मंदिर में कितनी सीढ़ियां हैं?

सुंधा माताजी का मन्दिर लगभग 900 वर्ष के करीब पुराना है जो ऊँची पहाड़ी पर बसा है इसमें “माँ सुंधा” की मूर्ति स्थापित है यह जालौर ज़िले के भीनमाल ,सुंधा में स्थित है। राजस्थान का पहला रोपवे यहा लगा हुआ है। सुंधा माता जी का मदिर लगभग 850 मीटर उँचाई पर स्थित हैं।…सुंधा माता मंदिर

सुंधा माताजी मंदिर
देश भारत

नागणेची माता की कौन सी तिथि है?

इसे सुनेंरोकेंजोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने राठौड़ों की कुलदेवी माता नागणेच्या मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 1523 में मेहरानगढ़ में की थी।