वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ पर बिखरे शूल न हों नाविक की धैर्य परीक्षा क्या यदि धाराएँ प्रतिकूल न हों?

वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या जिस पथ पर बिखरे शूल न हों नाविक की धैर्य परीक्षा क्या यदि धाराएँ प्रतिकूल न हों?

इसे सुनेंरोकेंवो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों । इसका अर्थ क्या हैै? इसका अर्थ है कि जीवन एक संघर्ष है जो उन संघर्षो से बिना हार माने चलता जाता है जाता है विजय प्राप्त करता वही श्रेष्ठ व्यक्ति है। यही बाधायें हमारी परीक्षा लेती है।

उस नाविक की धैर्य कुशलता क्या?

इसे सुनेंरोकेंनाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों । ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी ,जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते .

वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंवह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या जिस पथ पर बिखरे शूल न हों नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएँ प्रतिकूल न हों…!! ~जयशंकर प्रसाद

पथिक किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंपथिक : एक खण्ड-काव्य / रचयिता, रामनरेश त्रिपाठी.

वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या पूर्ण कविता?

वे कुछ दिन कितने सुंदर थे?

इसे सुनेंरोकेंजयशंकर प्रसाद वे कुछ दिन कितने सुंदर थे? इन आँखों की छाया भर थे!

रामनरेश त्रिपाठी की रचना क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइनकी प्रमुख रचनाएँ हैं— ‘पथिक’, ‘मिलन’ और ‘स्वप्न’ (खण्ड काव्य), ‘मानसी’ (स्फुट कविता संग्रह), ‘कविता-कौमुदी’, ‘ग्राम्य गीत’ (सम्पादित), ‘गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता’ (आलोचना)।

रामनरेश त्रिपाठी जी की रचनाओं में किसका स्वर मुख्य है?

रामनरेश त्रिपाठी
मुख्य रचनाएँ मिलन, पथिक, स्वप्न, मानसी, अंवेषण, हे प्रभो आनन्ददाता…. आदि।
विषय उपन्यास, नाटक, आलोचना, गीत, बालोपयोगी पुस्तकें
भाषा खड़ी बोली, हिन्दी, उर्दू
पुरस्कार-उपाधि हिंदुस्तान अकादमी पुरस्कार

लहर में संकलित कविताओं को क्या कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकें’लहर’ में १९३० से १९३५ ई॰ तक की रचनाएँ संकलित की गयी हैं। ‘लहर’ जयशंकर प्रसाद के प्रौढ़ रचनाकाल की सृष्टि है। इस संग्रह में कवि की सर्वोत्तम कविताएँ संकलित हैं। यह प्रसाद जी का ऐसा एकमात्र कविता-संग्रह है जिसकी किसी कविता में प्रथम, द्वितीय या तृतीय किसी संस्करण में कोई परिवर्तन नहीं किया गया।

पथिक खंडकाव्य में कितने सर्ग हैं?

प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी के प्रेमाख्यानक खण्ड काव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से ‘पथिक’ उनकी महत्त्वपूर्ण दूसरी कृति है। रामनरेश त्रिपाठी की यह रचना वर्ष 1920 ई….संबंधित लेख

[छिपाएँ] देखें • वार्ता • बदलें हिंदी साहित्य के खण्ड काव्य
आदि काल संदेशरासक · वीसलदेव रासो · थूलिभद्दफाग

आनंददाता कौन है वे हमें क्या देते हैं?

इसे सुनेंरोकेंआनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए। शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए। लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें। ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥

मिलन और पथिक किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंमिलन, पथिक, स्वप्न, मानसी, अंवेषण, हे प्रभो आनन्ददाता…. आदि। रामनरेश त्रिपाठी (अंग्रेज़ी: Ramnaresh Tripathi, जन्म- 4 मार्च, 1881, कोइरीपुर, जौनपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 16 जनवरी, 1962, प्रयाग) प्राक्छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि थे, जिन्होंने राष्ट्रप्रेम की कविताएँ भी लिखीं।