चमोली का प्राचीन नाम क्या है?

चमोली का प्राचीन नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजिसे चाती नाम से भी जाना जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी होती है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली भौगोलिक दृष्टि से मध्य हिमालय के बीच में स्थित है।

चमोली जिला कब बना?

इसे सुनेंरोकेंजिले का गठन 24 फरवरी 1960 को हुआ। गोपेश्वर। भारत-चीन सीमा पर स्थित चमोली जिले में चाहें कितनी भी मुसीबतें आई हों लेकिन यहां के लोग हर बार हौसला दिखाते हुए आगे बढे़ हैं। आज 24 फरवरी को चमोली जिले की 54वीं वर्षगांठ है।

गोपेश्वर को चमोली का मुख्यालय कब बनाया गया?

इसे सुनेंरोकें1960 में जब चमोली जिले की स्थापना की घोषणा हुई, तो इसका मुख्यालय चमोली को बनाया गया। गोपेश्वर तब चमोली से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गाँव था। 1963 में चमोली और गोपेश्वर को जोड़ती एक सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ।

चमोली जिले में कुल कितने गांव हैं?

Information about Chamoli in Hindi

नाम चमोली
विधायक श्री रघुनाथ सिंह
उपखंडों की संख्या ना
तहसील की संख्या 6
गांवों की संख्या 1252

चमोली जिले की जनसंख्या कितनी है?

2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या

2011 में चमोली की कुल आबादी 391,605
पुरुषों की जनसंख्या 193,991
महिलाओं की जनसंख्या 197,614
क्षेत्र (प्रति वर्ग कि.मी.) 8,030
घनत्व (प्रति वर्ग कि.मी.) 49

क्यों उत्तराखंड दो राजधानियों है?

इसे सुनेंरोकेंस्थापना उत्तराखण्ड राज्य के गठन से पहले से ही गैरसैंण को उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी के तौर पर प्रस्तावित करना शुरू कर दिया गया था। राजधानी के तौर पर गैरसैण का नाम सबसे पहले ६० के दशक में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने आगे किया था। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के समय भी गैरसैण को ही राज्य की प्रस्तावित राजधनी माना गया।

उत्तराखंड की नई राजधानी का नाम क्या है?

देहरादूनशीत ऋतु
गैरसैणग्रीष्म ऋतु
उत्तराखण्ड/राजधानियां

पिथौरागढ़ जिला कब बना?

इसे सुनेंरोकेंयहाँ आधिकारिक रूप से और शिक्षा के लिए हिन्दी भाषा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा यहाँ अधिक संख्या में कुमाऊँनी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ की 30 पट्टियां और अल्मोड़े की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था।

उत्तराखंड का सबसे प्राचीन अभिलेख कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंत्रिशूल (गोपेश्वर) जनपद-चमोली सबसे प्राचीन अभिलेख छठी शताब्दी ई0 में गणपतिनाग द्वारा उत्कीर्ण कराया जिसमें यहां रूद्र के मन्दिर की स्थापना का वर्णन मिलता है। 1119 ई0 के एक अन्य अभिलेख में नेपाल के राजा अशोक चल्ल द्वारा उक्त त्रिशूल की पुर्नस्थापना करने का उल्लेख मिलता है।