कौन सा समाजशास्त्री स्वरुपात्मक संप्रदाय से संबंधित नहीं है?)?

कौन सा समाजशास्त्री स्वरुपात्मक संप्रदाय से संबंधित नहीं है?)?

इसे सुनेंरोकेंस्वरूपात्मक संप्रदाय से संबंधित विद्वानों का यह कहना गलत है कि सामाजिक संबंधों के स्वरूपों का अध्ययन किसी अन्य विज्ञान के द्वारा नहीं किया जाता, अतः समाजशास्त्र को एक नवीन विज्ञान के रूप में इनका अध्ययन करना चाहिए । ऐसा कहना निराधार है ।

कौन सा समाजशास्त्री समन्वयक विचारधारा से संबंधित है?

इसे सुनेंरोकेंपाउन्ड की ख्याति का बहुत बड़ा श्रेय उनके सामाजिक अभियंत्रण (सोशल इन्जीनियरिंग) का जाता है। वे विधि के कार्यो को सामाजिक अभियांत्रिकी कहते हैं। पाउन्ड, विधि को कोई अमूर्त वस्तु नहीं बल्कि एक सामाजिक सत्य, एक वस्तुनिष्ठ तथा संघर्षो/द्वन्द्वों को दूर करने आैर उनमें सामजस्य स्थापित करने वाला मानते है।

समाजशास्त्र निम्न में से किसका वर्णन करता है?

इसे सुनेंरोकें. समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, प्राकृतिक विज्ञान नहीं – समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है क्योंकि इसकी विषयवस्तु मौलिक रूप से सामाजिक है अर्थात् इनमें समाज, सामाजिक घटनाओं सामाजिक प्रक्रियाओं, सामाजिक संबंधों तथा अन्य सामाजिक पहलुओं एवं तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।

निम्नलिखित में से कौन समन्वयात्मक संप्रदाय से संबंधित है?

इसे सुनेंरोकेंसमाजशास्त्र के समन्वयात्मक सम्प्रदाय के प्रमुख समर्थक कौन हैं? समाजशास्त्र के समन्वयात्मक सम्प्रदाय के प्रमुख समर्थक हैं—दुर्थीम, हॉबहाउस, सोरोकिन, जिन्सबर्ग तथा मोटवानी।

निम्नलिखित में से कौन समन्वयात्मक सम्प्रदाय से सम्बंधित है?

इसे सुनेंरोकें(ब) हॉब हाऊस (स) सोरोकिन

समष्टि समाजशास्त्र किसका अध्ययन करता है?

इसे सुनेंरोकें५. गिडिंग्स- “समाजशास्त्र समष्टि रूप से समाज का क्रमबद्ध वर्णन और व्याख्या है।

समन्वय आत्मक संप्रदाय के संस्थापक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंडेविड इमाईल दुर्खीम (Émile Durkheim ; फ्रेंच उच्चारण : [eˈmil dyʀˈkɛm]) (1858-1917) फ्रांस के महान समाजशास्त्री थे। कार्ल मार्क्स तथा मैक्स वेबर के साथ वे भी आधुनिक समाज विज्ञान के मुख्य शिल्पी एवं समाजशास्त्र के जनक कहे जाते हैं।

समन्वय आत्मक संप्रदाय क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसकी विभिन्न क्रियाओं में सांमजस्य व तालमेल स्थापित करना ‘समन्वय’ कहलाता है। यह प्रबन्ध का वह कार्य है जो किसी संस्था के विभिन्न विभागों, कर्मचारियों तथा उसके समूहों में इस प्रकार एकीकरण स्थापित करता है कि न्यूनतम लागत पर वाछिंत उद्देश्यों की पूर्ति में सहायता मिलती है।