कृष्ण चैतन्य का वास्तविक नाम क्या है?
श्रीमन्महाप्रभु चैतन्य देव | |
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जन्म | फाल्गुनी पुर्णिमा तिथि 1486 फ़रवरी 18 नवद्वीप (नादिया ज़िला), पश्चिम बंगाल |
मृत्यु | १५३४ (आयु ४६-४७) पुरी, उड़ीसा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य नाम | विश्वम्भर मिश्र,निमाई पण्डित, गौराङ्ग महाप्रभु, गौरहरि, गौरसुंदर, श्रीकृष्ण चैतन्य भारती आदि |
चैतन्य महाप्रभु किसका अवतार है?
इसे सुनेंरोकेंयह भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। इन्हें लोग श्रीराधा का अवतार मानते हैं। बंगाल के वैष्णव तो इन्हें भगवान का ही अवतार मानते हैं। श्री चैतन्य महाप्रभु विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
चैतन्य भागवत की पांडुलिपि क्या थी *?
इसे सुनेंरोकेंश्री चैतन्य भागवत चैतन्य महाप्रभु के उपदेशों पर लिखा एक ग्रन्थ है। चैतन्य भागवत में यह वर्णन है कि ईश्वरपुरी के निकट दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात श्री चैतन्य महाप्रभु गया से नवद्वीप धाम जाते समय यहां प्रथम बार भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन किये तथा उससे आलिंगनबद्ध हुए।
चैतन्य महाप्रभु का जन्म कब हुआ?
18 फ़रवरी 1486चैतन्य महाप्रभु / जन्म तारीख
निताई गौर क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनित्यानंद प्रभु (जन्म:१४७४) चैतन्य महाप्रभु के प्रथम शिष्य थे। इन्हें निताई भी कहते हैं। इन्हीं के साथ अद्वैताचार्य महाराज भी महाप्रभु के आरंभिक शिष्यों में से एक थे। इन दोनों ने निमाई के भक्ति आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की।
चेतन संप्रदाय के दार्शनिक मत को क्या कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंचैतन्य संप्रदाय को गौड़ीय संप्रदाय भी कहा जाता है। इसके प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु हैं। तात्विक सिद्धांत की दृष्टि से इसे अचिंत्य भेदाभेदवादी संप्रदाय कहते हैं। इसके अनुसार परमतत्त्व एक ही हैं जो सच्चिदानंद स्वरूप हैं, जो अनंत शक्ति संपन्न तथा अनादि है।
चैतन्य महाप्रभु के अभ्युदय का बंगला साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
इसे सुनेंरोकेंकुछ दिनों तक इन जगहों पे रहकर वे जगन्नाथपुरी की तरफ प्रस्थान कर गए। वैष्णव गीतिकाव्य – चैतन्य महाप्रभु के प्रभाव के कारण बंगला साहित्य खूब पल्लवित एवं पुष्पित हुआ तथा ढाई-तीन सौ वर्षों तक इस पर वैष्णव सम्प्रदाय की अमिट छाप बनी रही। सोलहवीं शताब्दी के लगभग सभी कवियों ने वैष्णव सम्प्रदाय में रहकर ही काव्य का सृजन किया।
कबीर के गुरु चैतन्य महाप्रभु थे या नहीं?
इसे सुनेंरोकेंचैतन्य महाप्रभु के गुरु कौन थे? – Quora. चैतन्य महाप्रभु के गुरु कौन थे? गौराँग महाप्रभु के गुरु थे श्री केशव भारती। इन्होंने ही दीक्षा के बाद उनका नाम श्री कृष्ण चैतन्य कर दिया था।
संत नित्यानंद का मूल नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनित्यानन्द स्वामी का जन्म दीनमणि शर्मा के रूप में दान्तिया, लखनऊ के निकट एक कस्बे में १७५४ में हुआ था। उनका ज्नम एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम विष्णु शर्मा और माता का नाम विर्जदेवी था और भाई का नाम गोविन्द शर्मा था।
नित्यानंद की संपादित पुस्तक का क्या नाम है?
इसे सुनेंरोकेंनित्यानंद विलास | Hindi Book | Nityanand Vilas – ePustakalay.
गौड़ीय संप्रदाय के प्रवर्तक कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंगौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला चैतन्य महाप्रभु के द्वारा रखी गई। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए महामंत्र नाम संकीर्तन का अत्यंत व्यापक व सकारात्मक प्रभाव आज पश्चिमी जगत तक में है।