आचाय रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल की समय सीमा क्या माना िै?
इसे सुनेंरोकेंआचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिकाल का समय 1700 – 1900 वि.
आदिकाल की समय सीमा क्या मानी जाती है?
इसे सुनेंरोकेंआदिकाल का समय 1050 से1375 तक का माना जाता है। आचायय रामचंद्र शुक्ल नेवीरगाथा काल कहा।
भारतेंदु युग की समय सीमा क्या थी?
इसे सुनेंरोकें(1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13 वीं शताब्दी से 1868 ईस्वी तक. (2) भारतेंदु युग(नवजागरण काल): 1868ईस्वी से 1900 ईस्वी तक। (3) द्विवेदी युग: 1900 ईस्वी से 1922 ईस्वी तक.
आदिकाल की अवधि कब से कब तक है?
इसे सुनेंरोकेंहिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है। इस युग को यह नाम डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘वीरगाथा काल’ तथा विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे ‘वीरकाल’ नाम दिया है।
रामकुमार वर्मा ने रीतिकाल को क्या कहा?
इसे सुनेंरोकेंशुक्ल जी के बाद के इतिहासकारों में रामकुमार वर्मा ने उस युग की संवेदना के मूल में कलात्मक गौरव को रेखांकित करते हुए ‘कलाकाल’ की संज्ञा दी, डॉ रसाल ने इस युग को ‘काव्यकला काल’ कहना अधिक उपयुक्त माना है। आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र इस काल को श्रृंगार काल नाम से संशोधित करते है।
रीतिकाल में प्रयुक्त रीति शब्द का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंरीति का अर्थ है : पद्धति । रस, अलंकार, गुण, ध्वनि और नायिका भेद आदि काव्यांगों के विवेचन करते हुए, इनके लक्षण बताते हुए रचे गए काव्य की प्रधानता के कारण इस काल को रीतिकाल कहा गया ।
आदिकाल के कवि कौन नहीं है?
आदिकाल हिंदी साहित्य का इतिहास (650 ई० -1350 ई०) : हिंदी साहित्य का इतिहास के विभिन्न कालों के नामांकरण का प्रथम श्रेय जॉर्ज ग्रियर्सन को जाता है।…आदिकालीन रचना एवं रचनाकार सूची
रचनाकार | रचना |
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शार्ङ्गधर | हम्मीर रासो |
दलपति विजय | खुमाण रासो |
जगनिक | परमाल रासो |
नल्ह सिंह भाट | विजयपाल रासो |
भारतेंदु युग का प्रारंभ कब से माना जाता है?
इसे सुनेंरोकेंप्रारंभ के 25 वर्षों (1843 से 1869) तक साहित्य पर यह प्रभाव बहुत कम पड़ा, किन्तु सन 1868 के बाद नवजागरण के लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे थे। विचारों में इस परिवर्तन का श्रेय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को है। इसलिए इस युग को “भारतेन्दु युग” भी कहते हैं।
आदिकाल के कवि कौन कौन है?
आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
- अब्दुर्रहमान : संदेश रासक
- नरपति नाल्ह : बीसलदेव रासो (अपभ्रंश हिंदी)
- चंदबरदायी : पृथ्वीराज रासो (डिंगल-पिंगल हिंदी)
- दलपति विजय : खुमान रासो (राजस्थानी हिंदी)
- जगनिक : परमाल रासो
- शार्गंधर : हम्मीर रासो
- नल्ह सिंह : विजयपाल रासो
- जल्ह कवि : बुद्धि रासो
आदिकाल के कवि कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंआदिकाल के प्रथम कवि महर्षि वाल्मीकि थे.