पहलवान की ढोलक कहानी में किस किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या क्या परिवर्तन आए?
2. कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?
- माता-पिता का बचपन में देहांत होना।
- सास द्वारा उसका पालन-पोषण किया जाना और सास पर हुए अत्याचारों का बदला लेने के लिए पहलवान बनना।
- बिना गुरु के कुश्ती सीखना।
- पत्नी की मृत्यु का दुःख सहना और दो छोटे बच्चों का भार संभालना।
उषा कविता गाँव की गतिशील सुबह का जीवंत शब्दचित्र है कैसे?
इसे सुनेंरोकेंकवि ने गाँव की सुबह का सुंदर चित्रण करने के लिए गतिशील बिंब-योजना की है। भोर के समय आकाश नीले शंख की तरह पवित्र लगता है। उसे राख से लिपे चौके के समान बताया गया है जो सुबह की नमी के कारण गीला लगता है। फिर वह लाल केसर से धोए हुए सिल-सा लगता है।
लुट्टन पहलवान नेऐसा क्यों कहा होगा दक मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं यही ढोल है?
इसे सुनेंरोकेंलुट्टन पहलवान का कोई गुरु नहीं था। ढोल की थाप से उसकी नसें उत्तेजित हो जाती और वह लड़ने के लिए तत्पर हो जाता। इस तरह लुट्टन पहलवान स्वतः ही ढोल की ध्वनि से कुश्ती के दांव-पेच सीखता चला गया, इसलिए पहलवान ने ऐसा कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है।
लोटन पहलवान ने ढोलक को अपना गुरु क्यों माना था?
इसे सुनेंरोकेंलुट्टन पहलवान जब पहली बार पहलवानी करने दंगल में जाता है, तो एकमात्र ढोल की आवाज़ होती है, जो उसे अपना साहस बढ़ाती नज़र आती है। ढोल की हर थाप में वह एक निर्देश सुनता है, जो उसे अगला दाँव खेलने के लिए प्रेरित करती है। यही कारण है कि लुट्टन पहलवान ढोल को अपना गुरु मानता है।
कवि ने उषा के सौन्दर्य को जादू क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंउषा का जादू यह है कि वह अनेक रहस्यपूर्ण एवं विचित्र स्थितियाँ उत्पन करता है। कभी पुती स्लेट कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह-ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश स्पष्ट हो जाता है और उसका जादू समाप्त हो जाता है।
उषा का दृश्य कैसे लग रहा है?
इसे सुनेंरोकेंआकाश लीपे हुए चौके के समान पवित्र, हलकी लाल केसर से युक्त सिल के समान तथा जल में झलकनेवाली गोरी देह के समान दिखाई देता है। प्रश्न 7. ‘उषा’ कविता के आधार पर अपनी कल्पना में संध्या के सौंदर्य का चित्रण कीजिए। सूर्योदय से पूर्व के आकर्षक दृश्य की तरह संध्या के समय सूर्य के डूबने से पूर्व का दृश्य भी बड़ा मोहक होता है।