हानूश क्या कार्य करता था?
इसे सुनेंरोकेंनाटक में दिखाया कि हानूश जो कि एक घड़ीसाज है, वो पिछले पंद्रह सालों से एक घड़ी को बना रहा होता है। वह बार-बार घड़ी बनाने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी घड़ी खराब हो जाती है। एक रोज हानूश की घड़ी बनकर तैयार हो जाती है।
दो घड़ी का मतलब क्या है?
इसे सुनेंरोकेंघड़ी दो घड़ी का एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- कुछ ही क्षणों का। प्रयोग- अब वह घड़ी दो घड़ी का ही मेहमान है।
घड़ी के पुर्जे का मूल प्रतिपाद्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: इस निबंध का मूल प्रतिपाद्य यह है कि लेखक ने इस निबंध के माध्यम से धर्मचार्यों के दोहरे मापदंड पर व्यंग किया है। लेखक के स्पष्ट करना चाहता है कि धर्माचार्य लोग धर्म की गूढ़ बातों को अपने तक सीमित रख कर लोगों में एक रहस्य की स्थिति पैदा करके रखते हैं।
कात्या किसकी पत्नी है?
इसे सुनेंरोकेंसौभाग्यवश मेरे पत्रकार मित्र, मसऊद अली खान की पत्नी कात्या, चेकोस्लोवेकिया की रहने वाली थी। उन्होंने झट से उसका अँग्रेज़ी में अनुवाद कर डाला। मुझे नाटक लिखने के लिए आधार मिल गया और वह दो पन्नों का आधार ही मेरे पास था। जब मैं भारत लौटा वे १९६३ के दिन थे।
हानूश नाटक का पात्र कौन है?
इसे सुनेंरोकें’हानूश’ के माध्यम से भीष्म साहनी ने एक ओर कलाकार की दुर्दमनीय सिसृच्छा और उसकी निरीहता को रूपायित किया है तो दूसरी ओर धर्म एवं सत्ता के गठबन्धन के साथ सामाजिक शक्तियों के संघर्ष अभिव्क्ति दी है। कलाकार के परिवारिक तनावों का अंकन ‘हानूश’ की एक उपलब्धि है, जो आज भी उतने ही सच हैं जितने पाँच शताब्दी पहले थे।
दो घड़ी में कितने मिनट होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपहर के बारे में पूछे गये सवाल के संदर्भ में कहा गया है कि एक प्रहर कोई तीन घंटे का होता है. एक घंटे में लगभग दो घड़ी होती हैं, एक पल लगभग आधा मिनट के बराबर होता है और एक पल में चौबीस क्षण होते हैं.
घड़ी साजी का इम्तहान पास करने से लेखक का क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंजो व्यक्ति घड़ी के विषय में हर प्रकार की जानकारी प्राप्त कर चुका होता है। उसे बड़ी सरलतापूर्वक खोल तथा वापस जोड़ सकता है, वही घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास करता है। इस इम्तहान को पास करने के बाद वह घड़ीसाज़ कहलाता है। ऐसे मनुष्य को यदि घड़ी ठीक करने को दी जाए, तो वह उसे ठीक करने का समार्थ्य रखता है।
हानूश की पत्नी का क्या नाम था?
इसे सुनेंरोकेंकोने में दीवार पर देवचित्र। पर्दा उठने पर पादरियों के वेश में हानूश का बड़ा भाई खड़ा है। हानूश की पत्नी उत्तेजित-सी उसके साथ बातें कर रही है।]
आलमगीर किसका नाटक है?
इसे सुनेंरोकेंभीष्म जी के एक अन्य नाटक ‘आलमगीर’ में वरिष्ठ नाट्य आलोचक जयदेव तनेजा ने प्रायः वही त्रुटि चिह्नित की है जिससे मिलता-जुलता जिक्र यहाँ ऊपर भी किया गया।