इकबाल जिंदाबाद का नारा किसने दिया?
इसे सुनेंरोकेंयह नारा उर्दू कवि मौलाना हसरत मोहानी के द्वारा 1921 में दिया गयारवतत। जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े हुए थे। इस नारे को भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रेल 1929 को एक आवाज़ी बम फोड़ते वक़्त बुलंद किया जिसने इसे लोकप्रिय बनाया। ।।
रमैया ने कौन सा नारा दिया?
GS ANSARI
कौन सा नारा | किसने दिया |
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स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है | बाल गंगाधर तिलक |
इंकलाब जिंदाबाद | भगत सिंह |
दिल्ली चलो | सुभाषचंद्र बोस |
करो या मरो | महात्मा गांधी |
नारा कब और किसने दिया था?
इसे सुनेंरोकें1. जय जवान जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री देश का राष्ट्रीय नारा कहे जाने वाला जय जवान जय किसान भारत का एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था।
कौन क्रांतिकारी थे जो हर बेंत पड़ने पर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते थे *?
इसे सुनेंरोकेंभगत सिंह ने गरम दल को चुना और 1926 में ‘नौजवान भारत’ सभा की स्थापना की। इसके बाद भगत सिंह ने क्रांतिकारी आंदोलन शुरू कर दिया और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा लगाने लगे।
बातें कम काम ज्यादा किसका नारा?
इसे सुनेंरोकेंस्वामीजी कहते हैं- बातें कम करो, अनुभव ज्यादा करो, कार्य अधिक करो। संसार के किसी देश के लोग भारतीयों के समान नहीं बोलते हैं। कारखानों में, दफ्तरों में, काम के समय बातचीत नहीं करनी चाहिए। इससे ऊर्जा बचती है और लोकसेवा कार्य शीघ्र हो जाता है।
बाते कम काम ज्यादा किसका प्रमुख नारा है?
जवाहरलाल नेहरू ने कौन सा नारा लगाया था?
इसे सुनेंरोकेंआराम हराम है का नारा जवाहरलाल नेहरू ने दिया था. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था. करो या मरो का नारा महात्मा गांधी ने दिया था.
चंद्रशेखर आजाद का उपनाम क्या है?
चन्द्रशेखर आज़ाद
शहीद पंडित चन्द्रशेखर ‘आज़ाद’ | |
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उपनाम : | ‘आजाद’, पंडित जी |
जन्मस्थल : | भाबरा गाँव (चन्द्रशेखर आज़ादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला) |
मृत्युस्थल: | चन्द्रशेखर आजाद पार्क, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
आन्दोलन: | भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम |
काशी विद्यापीठ में आजाद की पढ़ाई की व्यवस्था कैसे हुई?
इसे सुनेंरोकेंकाशी विद्यापीठ में प्रवेश और क्रान्तिकारी संगठन से जुड़नाः– सभी उन्हें बहुत सम्मान देते। यह सब आजाद के लिये एकदम नया और विशेष अनुभव था। आजाद ने पढ़ने के लिये नाम तो लिखा लिया किन्तु इनका मन पढ़ाई में बिल्कुल भी न लगता था। अब तो उन्हें कैसे भी करके अंग्रेजों को अपने देश से बाहर भगाना था।