असद का एक दिन नाटक में कितने नारी पात्र है?

असद का एक दिन नाटक में कितने नारी पात्र है?

इसे सुनेंरोकेंआषाढ़ के प्रथम दिवस सब कुछ समाप्त हो जाता है। ‘आषाढ़ का एक दिन’ नाटक पात्र योजना की दृष्टि से भी सफल है। रंगमंच पर कहीं भी किसी भी अंक में चार से अधिक पात्र एकत्र नहीं हो पाते हैं। नाटक के प्रमुख पुरूष पात्र हैं-कालिदास, विलोम, मातुल और निक्षेप और प्रमुख नारी पात्र हैं मल्लिका, अम्बिका, प्रियंगुमंजरी आदि।

कौन कालिदास को उज्जयिनी ले जाने के लिए आये हैं?

इसे सुनेंरोकेंमल्लिका कालिदास की प्रगति में बाधक नहीं बनती है, बल्कि उसकी प्रेरणा बनकर उस उज्जयिनी जाने के लिए विवश कर देती है। मल्लिका का यह त्याग सर्वथा सराहनीय है। वह कालिदास से ही नहीं अपितु उसके साहित्य से भी अनुराग करती है । उज्जयिनी से आने वाले व्यवसायियों से वह कालिदास की समस्त रचनाएँ प्राप्त कर लेती है।

अंबिका मल्लिका पर क्या नहीं करती?

इसे सुनेंरोकेंअम्बिका जब भी मल्लिका से कालिदास की बुराई करती है ,मल्लिका को अच्छा नहीं लगता है और वह खीझ जाती है। जब भी माँ मल्लिका से उससे विवाह की बात करती है ,तब भी वह विवाह से इंकार करती है।

इनमें से कौन सा पात्र आषाढ़ का एक दिन का नहींहै?

इसे सुनेंरोकेंइनमें से कौन सा पात्र आषाढ़ का एक दिन का नहीं है(A) कालिदास

कालिदास के उज्जैनी चले जाने पर मल्लिका के जीवन में क्या परिवर्तन आया द्वितीय अंक के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कालिदास असमंजस में पड़ जाता है । एक तरफ उसका सुंदर , शांत और प्रेम से भरा गांव का जीवन है और दूसरी तरफ उज्जयिनी के राजदरबार से प्रश्रय पाकर महानता छू लेना का अवसर। मल्लिका तो यही चाहती है कि जिस पुरुष से वह प्यार करती है उसे जीवन में सफलता मिले और वह कालिदास को उज्जयिनी जाने की राय देती है।

लहरों के राजहंस नाटक में बुद्ध के सौतेले भाई का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकहानी कुछ यूं थी कि सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) के वैराग्य लेने के बाद उनकी पत्नी भी संन्यासिनी बन जाना चाहती हैं। मगर इससे बुद्ध के सौतेले भाई नंद की पत्नी सुंदरी खासी परेशान हो जाती है।

उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति ऋतुसंहार के लेखक कवि कालिदास को जानता है यह कथन किसका है?

इसे सुनेंरोकेंमल्लिका : उज्जयिनी की राज्य-सभा का प्रत्येक व्यक्ति उन्हें जानता है? दंतुल : सम्राट ने स्वयं ‘ऋतु-संहार’ पढ़ा और उसकी प्रशंसा की है। इसलिए आज उज्जयिनी का राज्य ‘ऋतु-संहार’ के लेखक का सम्मान करना और उन्हें राजकवि का आसन देना चाहता है। आचार्य वररुचि इसी उद्देश्य से उज्जयिनी से यहाँ आए हैं।

मई का एक दिन किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंआषाढ़ का एक दिन सन १९५८ में प्रकाशित और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। १९५९ में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं।

मातुल कौन है उसके उसके चरित्र की किन्हीं दो विशेषताएँ बताइए?

इसे सुनेंरोकेंवह कालिदास के वंश का प्रसिद्ध पुरुष है ,वह एक अच्छा कवि है। कालिदास को कविता लिखना वह ही सिखाता है। मातुल कालिदास का अभिभावक है इसलिए कालिदास पर अपना पूर्ण अधिकार समझता है। ‘आषाढ़ का एक दिन नाटक में उसकी उपस्थिति एक अवसरवादी, चापलूस और अतिव्यावहारिक चरित्र के रूप में दिखाई देती है।

आषाढ़ का एक दिन नाटक के कालिदास क्या है?

इसे सुनेंरोकें’आषाढ़ का एक दिन’ की प्रत्यक्ष विषयवस्तु कवि कालिदास के जीवन से संबंधित है। किन्तु मूलत: वह उसके प्रसिद्ध होने के पहले की प्रेयसी का नाटक है- एक सीधी-सादी समर्पित लड़की की नियति का चित्र, जो एक कवि से प्रेम ही नहीं करती, उसे महान् होते भी देखना चाहती है।