कवयित्री के अनुसार मुक्ति रुपी द्वार कब खुलता है?

कवयित्री के अनुसार मुक्ति रुपी द्वार कब खुलता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री ने यह सुझाव दिया है कि मनुष्य इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर संयमी बने तथा भोग और त्याग के मध्य का मार्ग अपनाए। इससे प्रभु प्राप्ति का रास्ता खुल सकेगा।

बंद द्वार की सौंकल खुलने से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकें1. ‘बंद द्वार की सौंकल’ खुलने से क्या तात्पर्य है। Explain:- प्रज्ञा चक्षुओं का खुल जाना जिससे व्यक्ति ज्ञानवान हो जाता है।

कवयित्री के मन में क्या चाह है?

इसे सुनेंरोकेंकवयित्री का घर जाने की चाह से तात्पर्य है प्रभु से मिलना। कवयित्री इस भवसागर को पार करके अपने परमात्मा की शरण में जाना चाहती है क्योंकि जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है। न खाकर बनेगा अंहकारी। कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पड़कर कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है।

कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?

इसे सुनेंरोकेंकवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है क्योंकि- उसकी माँ ने जब उसे दक्षिण दिशा का ज्ञान कराया था तब से आज की परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। सभ्यता का विकास खतरनाक दिशा की ओर बढ़ता गया। आज लोगों की सामाजिक सोच और मानवीय मूल्यों में परिवर्तन आ गया है।

बंद द्वार की साँकल खोलने से कवयित्री क्या कहना चाहती है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवयित्री का मानना है कि मनुष्य को भोग लिप्ता से आवश्यक दूरी बनाकर भोग और त्याग के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। उसे संयम रखते हुए भोग और त्याग में समान भाव रखना चाहिए।

साँकल कब खुलती है?

इसे सुनेंरोकेंबंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद के अनुसार ईश्वर को अपने अन्त कारण में खोजना है| जिस दिन मनुष्य दुनिया के सभी लोभ , ऐशोआराम को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाएगा उस समय वह बंद द्वार की साँकल तक पहुंच सकता है| ईश्वर को अपने हृदय में पाकर स्वत: ही ये सांकल खुल जाएगी और ईश्वर को पाने के लिए सारे रास्ते मिल …

कवयित्री के मोक्ष प्राप्ति के रास्ते बंद क्यों हैं *?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कवयित्री ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति का या मोक्ष प्राप्ति का द्वार बंद है। इस द्वार को खोलने के लिए अर्थात् ईश्वर प्राप्ति के लिए अहंकार का त्याग करना होगा। सांसारिक विषय-वासनाओं से दूर रहना होगा और इन्द्रियों को वश में करना पड़ेगा। तभी मनुष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।

सुषमा सेतु पर खड़े होने का क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकें’सुषुम-सेतु’ सुषुम्ना नाड़ी की साधना को कहा गया है। हठयोगी इस I. कवयित्री ज्ञानी को अपने अंदर की आत्मा को पहचानकर .

कवव ने ऐसा क्यों कहा कक दक्षिण दिशा को लांघना सींभव नह ीं है?

इसे सुनेंरोकेंबचपन में कवि की माँ ने उससे बताया था कि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से मृत्यु की प्राप्ति होती है। क्योंकि दक्षिण दिशा में यमराज का घर होता हैं। यह बात उसके मन में घर कर गयी थी तथा उसका मन आजीवन आशंकित रहा। इसके साथ उसने दक्षिण दिशा को एक प्रतीक के रूप में शोषण से जोड़ा है कि शोषण का भी कोई ओर-छोर नहीं होता।

कवि के अनुसार आज हर दिशा में कौन है?

इसे सुनेंरोकेंकवि को माँ के दक्षिण दिशा की ओर पैर न करके सोने से मना करने का सबसे बड़ा लाभ क्या हुआ? Question 4. आज हर दिशा में यमराज है।