नाश्ता को हिंदी में क्या कहते है?

नाश्ता को हिंदी में क्या कहते है?

इसे सुनेंरोकेंनाश्ता के हिंदी अर्थ सबेरे का थोड़ा-सा खाना, जल- पान, उपाहार।। सुबह का अल्पाहार; जलपान; कलेवा; (ब्रेकफास्ट)।

नाश्ता का पर्यायवाची क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअल्पाहार, जलपान, नहारी। शब्दों का अर्थ व पर्यायवाची जानने के लिए वर्णों पर क्लिक करें।

नाश्ता कौन सी भाषा का शब्द है?

इसे सुनेंरोकेंप्रिय है रविंद्र जी, जहां तक मुझे लगता है नाश्ता एक उर्दू का शब्द है जिसे इंग्लिश में ब्रेकफास्ट बोलते हैं। या हम इसे प्रातकाल भोजन भी बोल सकते हैं , जिसको हम सुबह के समय दूध चाय ब्रेड व फल वगैरह के साथ लेते हैं।

प्रातः काल के नाश्ते को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजलपान: पुलिंग – कलेवा, नाश्ता। जलपान: जलपान- संज्ञा पुलिंग [संस्कृत] वह थोड़ा और हलका भोजन जो प्रातः- काल कार्य आरंभ करने से पहले अथवा संध्या को कार्य समाप्त करने के उपरांत साधारण भोजन से पहले किया जाता है । कलेवा ।

नाश्ता कौन सी संज्ञा है?

इसे सुनेंरोकेंनाश्ता संज्ञा पुं० [फा० नाश्तह्] कलेवा । जलपान । प्रातःकाल का अल्पाहार । पनपियाव ।

प्रात काल कब होता है?

इसे सुनेंरोकेंइसे इस तरह से समझिए कि सूर्योदय के पहले के समय को प्रात:काल कहते हैं। यह समय लगभग 4 बजे से 5 बजे तक का होता है।

प्रात काल कौन सा शब्द है?

इसे सुनेंरोकेंप्रातःकाल संज्ञा पुं० [सं०] १. रात के अंत में सूर्योदय के पूर्व का काल ।

मंदिर कौन सी संज्ञा है?

इसे सुनेंरोकेंजातिवाचक संज्ञा – जिस शब्द से किसी जाति का सम्पूर्ण बोध होता हो यह उसकी पूरी श्रेणी और पूर्ण वर्ग का ज्ञान होता हो। उस संज्ञा शब्द को जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है। जैसे – वस्तु : मोटर साइकिल, कार, टीवी, मोबाइल आदि। स्थान : पहाड़, तालाब, गाँव, मंदिर आदि।

प्रातः काल कितने बजे से कितने बजे तक होता है?

इसे सुनेंरोकेंजब मात्र शब्द में इतनी ठण्डक है तब प्रात:काल का दर्शन कितना सुखद होगा। प्रात: काल में सूर्य देव अपनी किरणों को एक ओर समेट कर चुपचाप आराम कर रहे होते हैं । इसे इस तरह से समझिए कि सूर्योदय के पहले के समय को प्रात:काल कहते हैं। यह समय लगभग 4 बजे से 5 बजे तक का होता है।

प्रातः ब्राह्मण क्यों लाभकारी होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रातःकाल के भ्रमण से पाचन शक्ति बढ़ती है, हृदय तथा फेफड़ों की गति सामान्य ढंग से कार्य करती है और उन्हें बल मिलता है। शुद्ध हवा जब नाक के मार्ग से शरीर में प्रवेश करती है तो रक्त भी शुद्ध होता है। प्रातःकाल भ्रमण से मनुष्य का मानसिक विकास भी होता है। उसकी गुद्धी विकसित होती है और उसमें अच्छे भावों की वृद्धी होती है।