पृथ्वी की कविता कौन है?

पृथ्वी की कविता कौन है?

इसे सुनेंरोकें“आओ, धरती बचाएँ।” धरती को पानीदार बनाएँ, आओ, धरती बचाएँ। जाहिर है कि जब हमारी पृथ्वी संरक्षित होगी तभी हमारा जीवन में खुशहाली आएगी और हमारा जीवन सुरक्षित रहेगा, इसलिए धरती मां की अहमियत को समझना हम सबका मूल कर्तव्य है, क्योंकि धरती पर रहकर ही हम सभी मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, वनस्पति आदि का कल्याण संभव है।

धरती के ऊपर किसका कविता है?

इसे सुनेंरोकेंधरती / त्रिलोचन – कविता कोश

बूढ़ी पृथ्वी का दुख कविता का मुख्य संदेश क्या है?

इसे सुनेंरोकें’बूढी पृथ्वी का दुख’ एक ऐसी कविता है, जिसमें पेड़, नदी, पहाड़, हवा और पृथ्वी को मनुष्य के रूप में चित्रित किया गया है। साहित्य की भाषा में इसे ‘मानवीकरण’ कहते हैं, अर्थात् जो मानव नहीं है, जड़ है- कल्पना-शक्ति से उसे मानव जैसा व्यवहार करते दिखाना।

आदमी के आदमी होने पर कवयित्री ने क्यों संदेह व्यक्त किया?

इसे सुनेंरोकेंअर्थ – अगर तुमने पयावरण में उत्पन्न दोषों तथा पर बढ़ती समस्या के प्रति संवेदनशील नहीं हुए तो कवयित्री कहती क्षमा करना मुझ तो तुम्हारे आदमी होने पर भी संदेह है। अर्थात् मानव यदि हो तो मानव पर आने वाले खतरा का समझने की कोशिश करो और यावरण का बचाओ।

नाटक जारी है किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंनाटक जारी है / लीलाधर जगूड़ी

सेम का बीज किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंउसमें मानवों के बीच समानता, ममता तथा क्षमता के बीज बोने हैं। पैसे बोने तथा सेम के बीज बोने के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि दोष धरती का नहीं, उसमें बीज बोने वालों का होता है। पैसे बोने पर उनका न उगना कवि के बचपने का नतीजा था। सेम के बीज बोना उसकी समझदारी थी।

आह धरती कितना देती है प्रश्न उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – ‘आ धरती कितना देती है ‘ कविता में कवि अपने बचपन की एक घटना का स्मरण कर रहा है, जब उसने धरती में पैसे बो दिए थे और सोचा था कि पैसों के पेड़ उगेंगे और रुपयों की फसलें आने पर वह धनाढ्य बन जाएगा। कालांतर में उसने सेम के कुछ बीज धरती में दबा दिए थे जिसके परिणामस्वरूप सेम की बेल उगी और बेल पर बहुत-सी फलियाँ लगीं।

धरती को बूढ़ी कहने का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: प्रश्न_ धरती को बूढी कहने का क्या तात्पर्य है? उत्तर बुढ़ापे में आदमी सुसत और निढाल हो जाता है उसमें उत्साह नहीं रहता इसी प्रकार भीषण गर्मी के कारण धरती पर चारों ओर सूखापन और उदासी दिखाई दे रही है धरती को बूढी कहने का यही तात्पर्य है।

आपने बूढ़ी पृथ्वी का दुख पाठ पढ़ा पृथ्वी का दुख दूर करने में आप क्या योगदान देंगे?

इसे सुनेंरोकेंइस पाठ को पढ़कर हमें यह सीख मिली कि हमें अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। हम अधिक से अधिक पेड़ लगायें और पेड़ों को कटने से बचायें। धरती पर उपस्थित हरियाली को नष्ट ना करें। हम अपनी नदियों को प्रदूषित ना करें, उनमें व्यर्थ का कचरा और कल-कारखानों का अपशिष्ट न बहायें।