कवयित्री ने बचपन को अतुलित आनंद देनेवाला क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : बचपन अतुलित आनन्द का भंडार होता है। कवयित्री आपनी नन्ही सी बेटी को पाकर खोद भी अपने बचपन में लौट जाना चाहती। वह निर्मल खेलना खाना निर्भय स्वच्छंद विचरण, बचपन की भोली-सी मधुर सरलता, रोना और हठ करना। यह छोटी-छोटी सी खुशियाँ भी जीवन को आनन्द से भर देती है।
कवि ने कौए के भाग्य की सराहना क्यों की है?
इसे सुनेंरोकेंकवि ने कौए के भाग्य की सराहना क्यों की है? उत्तर: कवि ने कौए के भाग्य की सराहना इसलिए की है कि कौए को भगवान का साक्षात् स्पर्श प्राप्त हो गया जबकि बड़े-बड़े भक्तों को यह प्राप्त नहीं होता है।
सुभद्रा कुमारी का बचपन कब लौट आता है?
इसे सुनेंरोकेंविवाह के पश्चात् उसे घर सूना-सा लगने लगा। तभी उसके घर में एक बेटी ने जन्म लिया और कवयित्री की तो जैसे सारी दुनिया ही बदल गई। बिटिया की ‘ओ माँ’ पुकार और माँ काओ’ (माँ खाओ) जैसी भोली मनुहार ने उसके जीवन में जैसे उसके बचपन को फिर से साकार कर दिया। इस प्रकार सुभद्रा जी का बचपन नया रूप-बेटी-बनकर उन्हें फिर से मिल गया।
कोयल चिड़ियों की रानी क्यों कहलाती है?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 5: कोयल चिड़ियों की रानी क्यों कहलाती है? उत्तर: कोयल सबसे मीठी बोली बोलती है, प्यासी धरती के लिए मेघों को बुलाती है और सदा ही अपनी माँ की बात मानती है। अपने इन्हीं अच्छे गुणों के कारण वो चिड़ियों की रानी कहलाती है।
छोटी सी कुटिया नंदन वन सी क्यों फूल उठी?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: इसका आशय यह है कि जब कवियत्री अपने बचपन की यादों में खोकर अपने बचपन को बुला रही थी उसी समय उनकी बिटिया आकर ‘माँ ओ!’ कहकर पुकारने लगी। उसके पुकारने से कवियत्री की नंदन समान छोटी सी कुटिया फूल की तरह खिल उठा। उसके बुलाने से कवियित्री को ऐसा एहसास हुआ कि मानो उनका बचपन वापस लौट आया है।
मेरा नया बचपन कविता में कवि ने बचपन की कौन कौन सी विशेषताओं का वर्णन किया है अपने शब्दों में लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंकवयित्री को अपने बचपन की बार-बार याद आती है। वह बिस्तार से बचपन के आनंदों का वर्णन करती है। कवयित्री का यह बचपन के प्रति आकर्षण दिखावटी नहीं है। वह चिंतारहित होकर खेलना-खाना, ऊँच-नीच, छुआ-छूत रहित मस्ती, रोना-मचलना और मनना बचपन की एक-एक घटना को कवयित्री ने बड़ी भावुकता से याद किया है।
ऊँच नीच का ज्ञान नहीं था पंक्ति में निहित भाव क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकवयित्री कहती हैं कि उस बचपन में मेरे मन में ऊँच-नीच की भावना नहीं थी अर्थात् मैं बिना किसी छोटे-बड़े के भेद के सबके साथ खेला करती थी और न ही मैं छुआछूत जानती थी। मैं उस समय झोंपड़ी में रहते हुए तथा चीथड़े पहने रहने पर भी रानी जैसी बनी हुई थी।
चिंता रहित खेलना खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद?
इसे सुनेंरोकेंचिंता-रहित खेलना-खाना वह फिरना निर्भय स्वच्छंद। कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद? ऊँच-नीच का ज्ञान नहीं था छुआछूत किसने जानी? बनी हुई थी वहाँ झोंपड़ी और चीथड़ों में रानी॥
कवयित्री का बचपन फिर से कैसे लौट आया है?
इसे सुनेंरोकेंकवियत्री को फिर से बचपन जीने का अनुभव अपनी बेटी के रूप में प्राप्त हुआ। जो बचपन उनसे भाग गया था वह फिर से बच्ची के रूप में लौट आया। जब बच्ची मांँ को मिट्टी खिलाने आती है तब इस बात से खुश होकर कवियत्री भी बच्ची बन जाती है और उसके साथ खूब खेलती, उसकी तरह खाती तथा तुतलाती है।
कोयल बादलों से क्या माँगती है?
इसे सुनेंरोकेंक्या गाती हो, किसे बुलाती, बतला दो कोयल रानी। प्यासी धरती देख, माँगती हो क्या मेघों से पानी? इसीलिए छाया करने को तुम बादल बुलवाती हो॥ जो कुछ भी हो, तुम्हें देख कर हम कोयल, खुश हो जाते हैं।