आह धरती कितना देती है भावार्थ?

आह धरती कितना देती है भावार्थ?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर –’आ : धरती कितना देती है’ कविता में कवि अपने बचपन की एक घटना का स्मरण कर रहा है, जब उसने धरती में पैसे बो दिए थे और सोचा था कि पैसों के पेड़ उगेंगे और रुपयों की फसलें आने पर वह धनाढ्य बन जाएगा। कालांतर में उसने सेम के कुछ बीज धरती में दबा दिए थे जिसके परिणामस्वरूप सेम की बेल उगी और बेल पर बहुत-सी फलियाँ लगीं।

सुहले सूरज के सामने आने से कवि का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकें’सुनहले सूरज के सामने आने’ का अर्थ यह है कि वे उत्साह से आगे बढ़ते हैं। काव्यांश में मानवीकरण अलंकार है।

भारत माता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई थी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर :-भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीर में जकड़ रखा था। परतंत्रता की बेड़ी में जकड़ी, काल के कुचक्र में फंसी विवश, भारतमाता चुपचाप अपने पुत्रों पर किये गये अत्याचार को देख रही थी। इसलिए कवि ने परतंत्रता को दर्शाते हए मुखरित किया है कि भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी है।

यह धरती कितना देती है Question Answer?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: ‘धरती कितना देती है’ कविता का संदेश है कि हमें अच्छे काम करने चाहिए, जिससे धरती पर सब कोई सुख, प्रेम और। शांति से रह सकें। कवि ने बचपन में धनवान बनने के लिए पैसे बोए थे।

रत्न प्रसविनी है वसुधा कवि की मूल दृष्टि क्या है?

इसे सुनेंरोकें’रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ। ‘ कवि की मूल दृष्टि मानवतावादी है। वह अपने समाज में फैले वर्ग-भेद से व्यथित है।

यह धरती कितना देती है प्रश्न उत्तर?

भारत माता कविता में भारत का कौन सा चित्र प्रस्तुत किया गया है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर :- कविता के प्रथम अनुच्छेद में भारतमाता को ग्रामवासिनी मानते हुए तत्कालीन भारत का यथार्थ चित्रण किया गया है कि भारतमाता का फसलरूपी श्यामल शरीर है, धूल-धूसरित मैला-सा आँचल है। गंगा-यमुना के जल अश्रुस्वरूप हैं। ग्राम्य छवि को दर्शाती हुई भारत माँ की प्रतिमा उदासीन है।

पतंग कविता में कवि ने क्या बात किने रिी िै अपने शब्दों में बताइए I?

इसे सुनेंरोकेंआसमान में उड़ती पतंग ऊँचाइयों की वे हदें हैं, जिन्हें बालमन छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है। ‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें। अब सवेरे का सूरज खरगोश की औंखों जैसा लाल-लाल दिखाई देने लगता है अर्थात् सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।