बिवाइयों के अलावा पैरों में और क्या कष्ट है?
इसे सुनेंरोकेंबिवाइयों के अलावा पैरों में और क्या कष्ट है? Answer: (c) पैरों में जगह-जगह काँटे चुभे हुए हैं। कोई भी जगह काँटों से खाली नहीं है।
सुदामा ने पोटरी कहाँ छिपाई थी?
इसे सुनेंरोकेंसुदामा उस उपहार को कहाँ और क्यों छिपा रहे थे? Answer: सुदामा चावल की पोटली को अपनी काख में इसलिए छिपा रहे थे क्योंकि उन्हें शर्म आ रही थी उन्हें लग रहा था कि इतने बड़े द्वारकाधीश को इतना छोटा भेंट कैसे प्रस्तुत करें।
सुदामा के पास पाँव में पहनने के लिए जूता तक नहीं होता था कृष्ण की कृपा के बाद क्या स्थिति बनी?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: निर्धनता के बाद श्रीकृष्ण की कृपा से सुदामा को धन-सम्पदा मिलती है। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोपड़ी रहा करती थी, वहाँ अब स्वर्ण भवन शोभित है। कहाँ पहले पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी और अब पैरों से चलने की आवश्यकता ही नहीं है।
कछू न जानी जात में सुदामा जी के मन के कौनसे भाव व्यक्त हुए हैं?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर – द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था।
श्री कृष्ण ने सुदामा के पैर कैसे धोए *?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: er: श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर अपनी आँखों के आँसुओं से धोए।
सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट में क्या दिया था?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे। संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को यह भेंट नहीं दे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो। …
श्री कृष्ण ने सुदामा के पैर कैसे धोए?
कछु न जानी जात के माध्यम से सुदामा क्या कहना चाहते है?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 6: ‘कछू न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने क्या कहना चाहा है? उत्तर: ‘कूछ न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने अपनी खीझ उतारते हुए यह कहना चाहा है कि कृष्ण ने आदर-सत्त्कार तो खूब किया पर वहाँ से आते समय मुझे कुछ दिया नहीं। यह बात मेरे समझ से परे है।