चने के पौधे ने किसकी पगड़ी को बांधा हुआ है?

चने के पौधे ने किसकी पगड़ी को बांधा हुआ है?

इसे सुनेंरोकें– बीते के बराबर।। 6. चने के पौधे ने किसे पगड़ी को बांधा हुआ था? (D) हरे पत्ते।

कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ कहाँ किया?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 7 कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है? छोटे गुलाबी फूल का, सजक र खड़ा है। यहाँ हरे चने के पौधे का छोटे कद के मनुष्य, जो गुलाबी रंग की पगड़ी बाँधे खड़ा है, के रूप में मानवीकरण किया गया है। पस ही मिल कर उगी है, बीच में अलसी हठीली।

चन्द्रगहना से लौटती बेर किसकी कविता है?

इसे सुनेंरोकेंचंद्रगाहना से लौटती बेर कविता के कवि केदारनाथ अग्रवाल हैं | इस कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है | प्रस्तुत कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन अनुराग व्यक्त हुआ है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है।

चंद्रगहना से लौटती बेर कविता में चटुल मछली का वर्णन किया गया है इसकी कौन सी विशेषताएँ?

इसे सुनेंरोकेंकवि आगे प्रकृति का वर्णन करता हुआ कहता है कि पास ही में एक पोखर में लहरें उठ रही हैं, लहराते हुए जल की सतह के किनारे नीले हुए जल-तल में उगी भूरी घास भी जल के साथ लहरा रही है।

चने को ठिगना क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: 1) चने का पौधा ऐसा लग रहा है जैसे एक ठिगना सा आदमी अपने सर पर छोटे से गुलाबी फूल की पगड़ी बांधकर सज धजकर खड़ा है। भारत के गाँवों में आपको हर कद काठी के लोग मिल जाएँगे! 2) शहरी मेहमान के आने से गाँव में हर्ष उल्लास का वातावरण बन जाता है।

चने के पौधे को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है?

इसे सुनेंरोकेंचने के पौधे को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है? Answer: कवि जब गुलाबी फूलों से सजे-धजे चने के पौधे को देखता है तो कवि को लगता है कि यह सज-धज कर अपनी प्रेयसी से मिलने जा रहा है।

चंद्र गहना से लौटती बेर कविता में कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ कहाँ किया है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने अलसी को एक सुंदर नायिका के रुप में चित्रित किया है। उसका शरीर पतला और कमर लचीली है। उसका चित्त अति चंचल और प्रेमातुर है। वह अपने सिर पर नीले फूल लगाकर यह सन्देश दे रही है कि प्रथम स्पर्श करने वाले को हृदय से अपना स्वामी मानेगी।

चने के पौधे पर कैसे फूल सुशोभित है?

इसे सुनेंरोकेंकविता में हरे चने के पौधे को ठिगना अर्थात् छोटे कद वाला बताया गया है। उसके सिर पर गुलाबी रंग का छोटा-सा फूल सुशोभित है। यह गुलाबी फूल हरे चने के पेड़ पर ऐसे शोभा दे रहे हैं जैसे साफा बँधा हुआ है और दूल्हे की तरह बन-ठन कर खड़ा है।

चंद्र गहना से लौटती बेर में चंद्र गहना क्या है?

इसे सुनेंरोकें’चंद्र गहना से लौटी बेर’ कविता में काले माथ वाली उस चिड़िया का वर्णन है जिसकी चोंच पीली और पंख सफ़ेद है। वह जल की सतह से काफ़ी ऊँचाई पर उड़ती है और मछली देखते ही झपट्टा मारती है। उसे चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है। यह चिड़िया किसी शोषण करने वाले व्यक्ति का प्रतीक है।

मेड पर इस खेत की बैठा अकेला कविता में कौन से संकलन से ली गई है?

इसे सुनेंरोकेंमेड़ पर इस खेत की बैठा अकेला। कवि एक गाँव से लौट रहे हैं जिसका नाम है चाँद गहना। लौटते समय कवि एक खेत की मेड़ पर अकेले बैठकर गाँव के सौंदर्य को निहार रहा है। आगे की पंक्तियों में ज्यादातर पौधों की तुलना अलग अलग वेशभूषा वाले आदमियों से की गई है।