लालबिहारी कौन है उसने क्या अपराध किया था पिता का उस समय क्या कर्त्तव्य था स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लालबिहारी अपने बड़े भाई श्रीकण्ठ का बहुत आदर करता था। श्रीकंठ भी लालबिहारी के प्रति अगाध हार्दिक स्नेह रखता था। लालबिहारी द्वारा आनंदी का अपमान करते हुए उसे खड़ाऊँ फेंककर मारने का अन्यायपूर्ण अपराध करना श्रीकंठ जैसे धैर्यवान, सहनशील और क्षमाशील व्यक्ति को भी क्रोध की अग्नि में जलने को विवश कर गया।
बड़े घर की बेटियां कैसे होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंदोनों भाइयों को गले मिलते देख कर आनंद से पुलकित हो गये। बोल उठे-बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं। बिगड़ता हुआ काम बना लेती हैं। गाँव में जिसने यह वृत्तांत सुना, उसी ने इन शब्दों में आनंदी की उदारता को सराहा-‘बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं।
ग आनंदी के मैके और ससुराल के वातावरण में क्या अंतर था उत्तर?
इसे सुनेंरोकेंआनंदी के मायके और ससुरल में बहुत अंतर था . उसके मायके में धन – धान्य की कोई कमी नहीं थी ,हाथी थे ,घोड़े थे परन्तु ससुराल में कोई साधन नहीं था . मायके में बड़े मकान ,नौकर चाकर थे ,लेकिन ससुराल में इसके उलट था . यहाँ बड़ा सीधा सादा जीवन था .
श्रीकांत कैसे विचारों के व्यक्ति थे?
इसे सुनेंरोकेंश्रीकंठ कैसे विचारों के व्यक्ति थे? श्रीकंठ बी. ए. इस अंग्रेजी डिग्री के अधिपति होने पर भी पाश्चात्य सामजिक प्रथाओं के विशेष प्रेमी न थे, बल्कि वे बहुधा बड़े जोर से उसकी निंदा और तिरस्कार किया करते थे।
श्रीकंठ की बातें सुनकर लालबिहारी सिंह को क्यों ग्लानि हुई?
इसे सुनेंरोकेंलालबिहारी सिंह दरवाजे की चौखट पर चुपचाप खड़ा बड़े भाई की बातें सुन रहा था। वह उनका बहुत आदर करता था। उसे कभी इतना साहस न हुआ था कि श्रीकंठ के सामने चारपाई पर बैठ जाय, हुक्का पी ले या पान खा ले। ऐसे भाई के मुँह से आज ऐसी हृदय-विदारक बात सुन कर लालबिहारी को बड़ी ग्लानि हुई।
आनंदी और लाल बिहारी में झगड़ा क्यों हुआ आपके अनुसार किसकी गलती थी?
इसे सुनेंरोकेंआनंदी और उसके देवर के बीच झगड़े का क्या कारण था? आनंदी ने सारा पावभर घी मांस पकाने में उपयोग कर दिया था जिसके कारण दाल में घी नहीं था। दाल में घी का न होना ही उनके झगड़े का कारण था।
आनंदी के पिता क्या थे?
इसे सुनेंरोकेंआनंदी के पिता का नाम भूपसिंह था।
आनंदी ने मन ही मन में किस बात पर पश्चाताप किया और क्यों?
इसे सुनेंरोकेंआनंदी का देवर जब घर छोड़कर जाने लगा तो स्वयं आनंदी ने आगे बढ़कर अपने देवर को रोक लिया और अपने किए पर पश्चाताप करने लगी। आनंदी ने अपने अपमान को भूलकर दोनों भाईयों में सुलह करवा दी थी।