प्याज में कैल्शियम कब डालना चाहिए?

प्याज में कैल्शियम कब डालना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंकैल्शियम नाइट्रेट : बुवाई के 50 से 60 दिनों बाद फसलों में कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। इससे जड़ें गहरी होंगी और कंदों में वृद्धि भी होगी। प्रति एकड़ भूमि में 10 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। छिड़काव के बाद सिंचाई करें।

आलू में कैल्शियम नाइट्रेट कब डालें?

इसे सुनेंरोकेंनियमानुसार, पहले दो महीने के दौरान आलू के पौधों को नाइट्रोजन (N-P-K 34-0-0) की बहुत ज्यादा जरुरत होती है (जब पौधे का पत्तियों वाला हिस्सा तेजी से बढ़ता है)। दूसरे महीने से लेकर कटाई से दो सप्ताह पहले तक, पौधों को सही आकार के आलुओं का उत्पादन करने के लिए ज्यादा पोटैशियम (12-12-17 या 14-7-21) की आवश्यकता होती है।

कैल्शियम नाइट्रेट खाद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकैल्शियम नाइट्रेट का उपयोग खेती के लिए, पानी में घुलनशील उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, इस उत्पाद का उपयोग अपशिष्ट जल उपचार में और सीमेंट कंक्रीट की ताकत बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। भारत में पहली बार कैल्शियम नाइट्रेट और बोरोन युक्त कैल्शियम नाइट्रेट का निर्माण किया जा रहा है।

प्याज में कैल्शियम क्या काम करता है?

इसे सुनेंरोकेंकैल्शियम प्याज में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कैल्शियम से जड़ स्थापना में वृद्धि एवं कोशिकाओं का विस्तार को बढ़ता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है ।

आलू में जिंक का प्रयोग कब करें?

इसे सुनेंरोकेंघोल बनाकर – मैदानी क्षेत्रों में सूक्ष्म पोषण तत्वों का दो बार 40 व 60 दिन में छिड़काव करें व पर्वतीय क्षेत्रों बुआई के 60-80 दिन में करेें। सूक्ष्म पोषक तत्वों द्वारा बीज उपचारण कंद को 2 प्रतिशत जिंक आक्साइड में लगाने से पहले उपचारित करेें। कंदों को 0.05 प्रतिशत सूक्ष्म पोषक तत्व के घोल में 3 घंटे तक डुबा कर रखें।

खेत में चूना डालने से क्या फायदा होता है?

इसे सुनेंरोकेंचूना भूमि की रासायनिक, भौतिक एवं जैविक गुणों में सुधार कर कृषि उत्पादन बढ़ाने में सहायता करता है। चूना का मृदा पर प्रभाव निम्नांकित है। हाइड्रोजन की मात्रा कम कर मिट्टी का पी. एच.

कैल्शियम और कैल्शियम नाइट्रेट में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंपानी में घुलनशील कैल्शियम का अनूठा स्रोत। पौधों के भीतर नाइट्रेट नाइट्रोजन के वाहक के रूप में कार्य करता है। पौधों की कैल्शियम की कमी को कम करता है और फसलों के बढ़ने और शक्ति में सहायता करता है। कीटनाशक और रोगों के प्रति सहिष्णुता के माध्यम से पौधों स्वस्थ और मजबूत बनाता है।