मेरे बचपन के दिन किसकी आत्मकथा है?
इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत संस्मरण में महादेवी जी ने अपने बचपन के उन दिनों को स्मृति के सहारे लिखा है जब वे विद्यालय में पढ़ रही थीं। इस अंश में लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैये, विद्यालय की सहपाठिनों, छात्रावास के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसंगों का बहुत ही सजीव वर्णन है।
छात्रावास छोड़कर कौन चली गई?
इसे सुनेंरोकेंसुभद्रा जी छात्रावास छोड़कर चली गईं।
लेखिका उर्दू फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
इसे सुनेंरोकेंलेखिका की उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वह उससे सीख नही पायीं। इसलिए लेखिका को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए जब मौलवी रखा गया और वह जब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई।
24 लेखिका के जन्म पर उसकी खातिर क्यों की गई मेरे बचपन के दिन पाठ के आधार पर लिखो?
इसे सुनेंरोकेंउस समय जब लेखिका पैदा हुई थी अर्थात् सन् 1900 के आसपास स्त्रियों की स्थिति बहुत शोचनीय थी। लोगों का दृष्टिकोण स्त्रियों के प्रति अच्छा नहीं था। लोग पुत्रों को अधिक महत्त्व देते थे। जहाँ पुत्रजन्म पर उत्सव मनाया जाता था वहीं पुत्री के जन्म पर पूरा परिवार शोक में डूब जाता था।
वह कौनसी मराठी लड़की थी जो महादेवी वर्मा के साथ छात्रावास में रहने आई?
इसे सुनेंरोकेंSolution. जेबुन्निसा कोल्हापुर से आई मराठी लड़की थी जो महादेवी के कमरे में रहने आई क्योंकि सुभद्रा छात्रावास से जा चुकी थीं। जेबुन महादेवी की डेस्क साफ़ कर देती, उनकी पुस्तकें ढंग से रख देती थी। इससे महादेवी को कविता लेखन के लिए कुछ और समय मिल जाता था।
बचपन में लेकर की क्या दशा थी?
इसे सुनेंरोकेंलोग पुत्रों को अधिक महत्त्व देते थे। कुछ स्थानों पर तो लड़कियों को पैदा होते ही मार देते थे। उनकी शिक्षा, पालन-पोषण आदि को बहुत महत्त्व नहीं दिया जाता था। उस समय बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, सती–प्रथा आदि सामाजिक कुरीतियाँ प्रचलित थीं जो महिलाओं के लिए घातक सिद्ध हो रही थीं।
बेगम साहिबा ने महादेवी के छोटे भाई का नाम क्या रखा *?
इसे सुनेंरोकेंइसी कारण जब बेगम साहिबा उनके घर आती थीं तो उनको पूरा सम्मान देकर ताई कहकर बुलाती थीं। यहाँ तक महादेवी की माँ ने बेगम साहिबा द्वारा रखा गया उनके भाई का नाम हमेशा के लिए मनमोहन ही रखा।
सुभद्रा कुमारी चौहान महादेवी वर्मा की तुकबंदी किस पत्रिका में छपा करती थी?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: स्त्री-दर्पण पत्रिका।