बंधुआ मजदूरी का क्या अर्थ है?

बंधुआ मजदूरी का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंवह व्यक्ति जो लिए हुए ऋण को चुकाने के बदले ऋणदाता के लिए श्रम करता है या सेवाएँ देता है, बँधुआ मजदूर (Debt bondage या bonded labor) कहलाता है। इन्हें ‘अनुबद्ध श्रमिक’ या ‘बंधक मज़दूर’ भी कहते हैं। कभी-कभी बंधुआ मजदूरी एक पीढी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती है।

अनुबंध मजदूर कौन थे उन्होंने किस प्रकार अपनी पहचान बनाई?

इसे सुनेंरोकेंसमाज में कमजोर आर्थिक और सामाजिक स्थिति होने के कारण अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को गाँवों में जमींदार या साहूकार उन्हें अपने श्रम को नाममात्र के वेतन या बिना किसी वेतन के बेचने को मजबूर करते हैं। अंग्रेजों द्वारा लागू की गई भूमि बंदोबस्त व्यवस्था ने बंधुआ मज़दूरी को आधार प्रदान किया।

बंधुआ मजदूरी कब लागू की गई?

इसे सुनेंरोकेंबंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 को लागू करके बंधुआ मजदूरी प्रणाली को २५ अक्टूबर १९७५ से संपूर्ण देश से खत्म कर दिया गया। इस अधिनियम के जरिए बंधुआ मजदूर गुलामी से मुक्त हुए साथ ही उनके कर्ज की भी समाप्ति हुई। यह गुलामी की प्रथा को कानून द्वारा एक संज्ञेय दंडनीय अपराध बना दिया।

मानव के व्यापार और बंधुआ मजदूरी पर इनमें से कौन सा अनुच्छेद प्रतिबंध लगाता है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार, मनुष्यों के अवैध व्यापार तथा बेगार’ एवं जबरन मजदूरी के अन्य स्वरूपों को पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है| इस संवैधानिक प्रावधान के आधार पर, भारत सरकार ने बंधुआ मजदूर प्रणाली (उत्सादन) अधिनियम, 1976 पारित किया।

बाल श्रम से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंबाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है। भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 – 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है

बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम संसद में कब पारित हुआ?

इसे सुनेंरोकेंबंधुआ मजदूर प्रथा (समापन) अधिनियम, 1976 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बँधुआ मज़दूरी की बंधुआ मजदूरी की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लागू की गयी है।

भारत से विदेशों को जाने वाले अनुबंधित श्रमिक क्या कहलाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइन मज़दूरों को गिरमिटिया कहा गया। गिरमिट शब्द अंगरेजी के `एग्रीमेंट’ शब्द का अपभ्रंश बताया जाता है। जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर हर साल हज़ारों मज़दूर दक्षिण अफ्रीका या अन्य देशों को भेजे जाते थे, उसे मज़दूर और मालिक `गिरमिट’ कहते थे। इस दस्तावेज के आधार पर मज़दूर गिरमिटिया कहलाते थे।

राजस्थान में सागड़ी प्रथा क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंसागड़ी प्रथा जिसे ‘बंधुआ मजदूर प्रथा’ भी कहा जाता था, राजस्थान में प्रचलित थी। इस प्रथा के अनुसार सेठ, साहूकार अथवा पूंजीगत वर्ग के द्वारा उधार दी गई धनराशि के बदले कर्जदार व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य को अपने यहाँ नौकर के रूप में रख लिया जाता था।

बाल मजदूरी किसकी वजह से की जाती है?

इसे सुनेंरोकें1- जैसा की हम बाल मजदूरी से संबंधित हर पोस्ट में यह बता रहे हैं कि बाल मजदूरी या बाल श्रम का मुख्य कारण गरीबी है. गरीबी के कारण माता पिता अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते हैं तथा उनसे बाल मजदूरी करवाते हैं.

बाल संरक्षण से जुड़ा कौन सा से मुद्दा मुद्दे आपके क्षेत्र में प्रभावी है स्पष्ट कीजिए 200 शब्दों में?

इसे सुनेंरोकेंबाल संरक्षण आयोग के दायित्व उन सभी कारकों की जांच करना जो आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, दंगों, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी /एड्स, तस्करी, दुर्व्यवहार, यातना और शोषण, वेश्यावृत्ति और अश्लील साहित्य से प्रभावित बच्चों के खुशी के अधिकार व अवसर को कम करती है और उसके लिए उपचारात्मक उपायों का सुझाव देना।

किसका उद्देश्य बाल श्रम मुक्त समाज है?

इसे सुनेंरोकेंसातवीं पंचवर्षीय योजनावधि के दौरान 14 अगस्त, 1987 को राष्ट्रीय बाल श्रम नीति को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किया गया। इस नीति का उद्देश्य बच्चों को रोजगार से हटाकर उन्हें समुचित रूप से पुनर्वास कराना था। इस तरह जिन क्षेत्रों में बाल श्रम अधिक है उन क्षेत्रों में इसके प्रभाव को कम करना है।

समान पारिश्रमिक अधिनियम कब पारित किया गया?

इसे सुनेंरोकेंसमान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 ( Equal Remuneration Act, 1976 )