मूल्य वृद्धि क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमूल्य अर्थात (Price) या हम यह कह सकते हैं कि इसका दाम। वृद्धि अर्थात बढ़ जाना या बढ़ना तो हम यह कह सकते हैं कि किसी वस्तु के मूल्यों का बढ़ जाना ही मूल्य वृद्धि कहलाता है। विकास योजना को लागू करने पर वस्तुओं तथा साधनों की मांग तथा आपूर्ति के बीच सामंजस्य होना अनिवार्य है। ..
मांग के प्रकार कितने होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंजब किसी वस्तु की मांग, कुछ मूल वस्तुओं की खरीद से जुड़ी होती है तो उसकी मांग व्युत्पन्न मांग कहलाती है। दूसरी ओर, उन वस्तुओं की, जिनकी मांग कुछ अन्य वस्तुओं की मांग से नही जुड़ी होती है, स्वायत्त मांग कहलाती है, जैसे भोजन, वस्त्र, आवास आदि। उपभोक्ता वस्तुओं की मांग स्वायत्त मांग होती है
मांग के कानून की व्याख्या क्या अपनी मान्यताओं हैं?
इसे सुनेंरोकेंसूक्ष्मअर्थशास्त्र में, मांग का नियम कहता है कि, “सभी पहलुओं को बराबर रखते हुए , किसी वस्तु की कीमतों का गिरना (↓): उसकी मांग को बढ़ा देता है (↑); तथा किसी वस्तु की कीमतों का उठाना (↑) :उसकी मांग को गिरा देता है(↓)।” दूसरे शब्दों में, मांग का कानून मूल्य और मात्रा के बीच एक व्युत्क्रम संबंध का वर्णन करता है जो की किसी …
मांग की कीमत लोच से क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंमांग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा उस वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है। मांग की कीमत लोच(ed) = मांगी गयी मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन कीमत में आनुपातिक परिवर्तन Page 8 मांग की लोच एक परिणात्मक कथन है।
हिन्दी में मांग की लोच क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकिसी वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उस वस्तु की माँगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप को ही माँग की लोच कहा जाता है। इससे यह तो ज्ञात हो जाता है कि वस्तु की कीमत में कमी होने पर उस वस्तु की माँग बढ़ेगी अथवा कीमत में वृद्धि होने पर उस वस्तु की माँग कम होगी।
स्थिर लागत से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंस्थिर लागत क्या है? (What is Fixed Cost in Hindi?) जिन साधनों की मात्राओं में कुछ समयावधि तक परिवर्तन नहीं किया जा सकता, उनकी लागतों को स्थिर लागत (Fixed Cost in Hindi) कहते हैं। अल्पकाल में दी हुई साज-सज्जा के कम या अधिक सघन प्रयोग से ही उत्पादन में परिवर्तन किए जा सकते हैं।
मांग से क्या अभिप्राय है इसके प्रकार बताइए?
इसे सुनेंरोकेंबॉबर के अनुसार- “माँग का अभिप्राय, दी हुई वस्तुओं अथवा सेवाओं की उन मात्राओं से होता है, जिन्हें उपभोक्ता एक बाज़ार में, एक दी हुई समय अवधि के अंतर्गत, विभिन्न मूल्यों अथवा विभिन्न आयों अथवा संबंधित वस्तुओं की विभिन्न कीमतों पर खरीदना चाहता है।”5 दिस॰ 2020
अर्थशास्त्र में मांग का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंअर्थशास्त्र में माँग (demand) किसी माल या सेवा की वह मात्रा होती है जिसे उस माल या सेवा के उपभोक्ता भिन्न कीमतों पर खरीदने को तैयार हों। आमतौर पर अगर कीमत अधिक हो तो वह माल/सेवा कम मात्रा में खरीदी जाती है और यदि कीमत कम हो तो अधिक मात्रा में।
पूर्ति करता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपूर्ति शब्द का अर्थ किसी वस्तु की उस मात्रा से लगाया जाता है, जिसे को विक्रेता ‘एक निश्चित समय’ तथा ‘एक निश्चित कीमत’ पर बाजार में बेचने के लिए तैयार रहते हैं। स्पष्ट है कि पूर्ति के लिए निश्चित समय तथा एक निश्चित मूल्य को बताना आवश्यक है
अर्थशास्त्र का नियम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअर्थात् वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग घटती है तथा वस्तु की कीमत में कमी होने पर उसकी माँग बढ़ती है। वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर मॉग में कमी होने की एवं वस्तु की कीमत में कमी होने पर माँग में वृद्धि होने की प्रवृत्ति को अर्थशास्त्र में माँग के नियम से जाना जाता है ।
मांग की लोच से आप क्या समझते हैं यह कितने प्रकार की होती है समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंजब मांग का अनुपातिक परिवर्तन उस वस्तु की कीमत के अनुपातिक परिवर्तन के बराबर होता है तो इस स्थिति में वह इकाई लोचदार माँग कहलाती है। ऐसी मांग मुख्यतः सामान्य वस्तुओं में पायी जाती है। ऐसे में मांग की लोच का मान 1 के बराबर ED = 1 होता है