केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लांट के क्षेत्रों में अधिकतम ध्वनि सीमा ८ घंटे कितनी हो सकती है *?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लांट के क्षेत्रों में अधिकतम ध्वनि सीमा ८ घंटे कितनी हो सकती है *?

इसे सुनेंरोकेंQ. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आवासीय क्षेत्रों में अधिकतम ध्वनि सीमा कितनी हो सकती है? Notes: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आवासीय क्षेत्रों में अधिकतम ध्वनि सीमा 55 डेसीबल हो सकती है।

रात के समय शांत ज़ोन में निर्धारित अधिकतम शोर स्तर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंक्षेत्र के साइलेंट यानि शोरमुक्त जोन में रात के समय शोर का मानक 40 डेसीबल है।

What Produces maximum Noise Pollution निम्न में से कौन अधिकतम ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करता है?

इसे सुनेंरोकें1 उद्योग लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल-कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज/गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है। ताप विद्युत गृहों में लगे ब्यायलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं। अधिकतर उद्योग शहरी क्षेत्रों में स्थापित हैं, अतः वहां ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता अधिक है

कितना डेसिबल आवाज sound मानव के कान के लिए घातक है?

इसे सुनेंरोकेंकानों के लिए 60 डेसीबल तक की आवाज सामान्य होती है। इससे अधिक आवाज कान की सेहत के लिए खतरनाक… कानों के लिए 60 डेसीबल तक की आवाज सामान्य होती है। इससे अधिक आवाज कान की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है

मनुष्य कितना सुन सकता है?

इसे सुनेंरोकेंमानव कान लगभग २० हर्ट्स से लेकर २० किलोहर्टस (२०००० हर्ट्स) आवृत्ति की ध्वनि तरंगों को ही सुन सकता है। बहुत से अन्य जन्तु इससे बहुत अधिक आवृत्ति की तरंगों को भी सुन सकते हैं।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानी की गुणवत्ता मानकों को कितने भागों में वर्गीकृत किया है?

इसे सुनेंरोकेंइसके पास 14 बड़ी नदियां, 44 मध्यम और 55 छोटी नदियां हैं। इसके अलावा, यहां अनेक झीलें, तालाब और कुएं हैं। इन सभी का उपयोग पीने के पानी के प्राथमिक स्रोत के तौर पर किया जाता है, यहां तक कि पानी का उपचार किए बिना भी।

ध्वनि प्रदूषण ध्वनि के कितने डेसीबल पर शुरू होता है?

इसे सुनेंरोकेंबता दें कि ध्वनि प्रदूषण का सामान्य स्तर 55 डेसिबल के आसपास माना जाता है

निम्न में से कौन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत नहीं है?

इसे सुनेंरोकेंमानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पसंद न की जाने वाली ध्वनि को ध्वनि शोर-शराबा कहा जाता है। यह अवांछित ध्वनि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है। ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।.