गेहूं की सिंचाई में कितने इंच पानी लगाना चाहिए?
फसलें और पानी
नाम जिंस | धरती की किस्म | कितना गहरा पानी देना है |
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गेहूँ, जौ | दुमट औसत, दुमट कछार, | 3 से साढ़े 3 इंच |
चना | मटियार दुमट, राकड़ | 2 से ढाई इंच |
सरसों लाही | हल्की मटियार, दुमट | 2 से ढाई इंच |
मसूर | माट दुमट, मटियार | 2 से ढाई इंच |
कृषि के लिए सिंचाई क्यों महत्वपूर्ण है?
इसे सुनेंरोकेंसिंचाई मिट्टी या जमीन के लिए पानी का एक बेहतरीन अनुप्रयोग है. यह कृषि फसलों, मरुस्थलीय क्षेत्रों में अच्छी तरह से नमी को कायम रखने में मृदा और वनस्पति की मदद करता है. इसके अलावा सिंचाई कृषि के उत्पादन में भी मदद करता है और शीतकाल में पाला के खिलाफ पौधों की रक्षा भी करता है
भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसिंचाई मिट्टी को कृत्रिम रूप से पानी देकर उसमे उपलब्ध जल की मात्रा में वृद्धि करने की क्रिया है और आमतौर पर इसका प्रयोग फसल उगाने के दौरान, शुष्क क्षेत्रों या पर्याप्त वर्षा ना होने की स्थिति में पौधों की जल आवश्यकता पूरी करने के लिए किया जाता है
गेहूं की सिंचाई कब कब करनी चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंगेहूं की फसल यदि 20 से 25 दिन की हो गई हो तो खेत में पहली सिंचाई का प्रबंध करें। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अभी आने वाले कुछ दिनों के दौरान बारिश की संभावना नहीं है। इसको देखते हुए गेहूं की खड़ी फसल में एक बार अवश्य सिंचाई करें
गेहूं की सिंचाई कितने दिन बाद करें?
इसे सुनेंरोकेंगेहूं की फसल। “वैज्ञानिक या उन्नत तरीके से गेहूं की खेती करके प्रति हेक्टेयर चार-छह कुंतल पैदावार बढ़ाई जा सकती है। जो गेहूं विलम्ब से बोया गया है उसकी पहली सिंचाई 20-25 दिन में कर दी जाए।” यह कहना है वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ
ड्रिप सिंचाई प्रणाली कैसे उपयोगी है?
इसे सुनेंरोकेंड्रिप सिंचाई प्रणाली के लाभ बाढ़ सिंचाई की तुलना में 70 प्रतिशत तक पानी की बचत। अधिक भूमि को इस तरह बचाये गये पानी के साथ सिंचित किया जा सकता है। फसल लगातार,स्वस्थ रूप से बढ़ती है और जल्दी परिपक्व होती है। उर्वरक लघु सिंचाई प्रणाली के माध्यम से और रसायन उपचार दिया जा सकता है।
भारत में सिंचाई क्यों आवश्यक है भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंनहर द्वारा सिंचाई भारत में सिंचाई का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है तथा नलकूप के बाद इसका दूसरा स्थान है, परंतु सिंचाई का यह माध्यम दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है, क्योंकि यह प्रणाली उन्हीं क्षेत्रों में विस्तृत है, जहाँ बड़े समतल मैदान हैं तथा मिट्टी गहरी एवं उपजाऊ है और सदावाहिनी नदियाँ बहती हैं।
फसलों की सिंचाई कैसे करते हैं?
सिंचाई की प्रमुख विधियाँ
- स्तही सिंचाई विधि: सिंचाई जल को भूमि के तल पर फैलाना तथा जल के अन्तःसरण का अवसर प्रदान करना सतही सिंचाई कहलाता है ।
- बौछारी सिंचाई विधि: सिंचाई जल का वायुमण्डल में छिड़काव करना तथा वर्षा की बूंदों की तरह भूमि और पौधों पर गिरने देना बौछारी सिंचाई कहलाता है ।
- असभूमि सिंचाई:
सिंचाई से क्या लाभ है?
इसे सुनेंरोकेंसिंचाई (sichai) करने से फसलों की वानस्पतिक वृद्धि अधिक होती है तथा कृषि उत्पादन बढ़ जाता है जो किसी भी क्षेत्र की सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है । पौधों को वृद्धि एवं विकास के लिए वर्षा जल के अतिरिक्त भी जल की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति के लिए कृत्रिम रूप से सिंचाई (Irrigation in hindi) की जाती है
गेहूं में कौन कौन सी खाद डालनी चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंकिसान भाइयों उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए, गेहूँ की अच्छी उपज के लिए खरीफ की फसल के बाद भूमि में 150 कि०ग्रा० नत्रजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, तथा 40 कि०ग्रा० पोटाश प्रति हैक्टर तथा देर से बुवाई करने पर 80 कि०ग्रा० नत्रजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, तथा 40 कि०ग्रा० पोटाश, अच्छी उपज के लिए 60 कुंतल …