परशुराम जी के पास किसका धनुष रखा था?
इसे सुनेंरोकेंक्रोधित भगवान शिव ने अपने धनुष पिनाक को एक राजा को दे दिया, जो सीता के पिता राजा जनक के पूर्वज थे। भगवान विष्णु ने भी ऐसा करने का निर्णय किया, और ऋषि ऋचिक को अपना धनुष शारंग दे दिया। अवतार और ऋषि ऋचिक के पौत्र परशुराम को प्राप्त हुआ।
राम ने शिव के धनुष को तोड़ने वाले के बारे में क्या कहा?
इसे सुनेंरोकेंभगवान परशुराम को धनुष टूटने की जानकारी मिली, तो वह क्रोधित होकर जनकपुरी पहुंचे। वहां लक्ष्मण और परशुराम का ओजस्वी संवाद हुआ। भगवान श्रीराम ने क्रोधित परशुराम को शांत करते हुए कहा कि धनुष तोड़ने वाला कोई आपका दास ही है
क्या हिन्दी में धनुष के संकेत है?
इसे सुनेंरोकेंयह दूर तक मार करनेवाला अस्त्र है, जिसका उपयोग सहस्रों वर्षों से होता आ रहा है। विश्व के प्राचीनतम साहित्य संहिता और ब्राह्मणों में इंद्र के वज्र और धनुष-बाण का उल्लेख मिलता है। प्राचीन समय में सैन्य विज्ञान का नाम ही धनुर्वेद था, जिससे सिद्ध होता है कि उन दिनों युद्ध में धनुष बाण का कितना महत्व था।
भगवान राम के धनुष का क्या नाम था?
इसे सुनेंरोकेंबहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था इसीलिए प्रभु श्रीराम को कोदंड कहा जाता था। ‘कोदंड’ का अर्थ होता है बांस से निर्मित। कोदंड एक चमत्कारिक धनुष था जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था। कोदंड नाम से भिलाई में एक राम मंदिर भी है जिसे ‘कोदंड रामालयम मंदिर’ कहा जाता है।
पिनाक धनुष किसका बना था?
इसे सुनेंरोकेंशिवधनुष (संस्कृत: शिवधनुष:) या पिनाक (संस्कृत: पिनाक:) भगवान शिव का धनुष है।
शिव धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित क्यों हुए?
इसे सुनेंरोकेंपरशुराम दिल के बहुत अच्छे माने जाते थे लेकिन जब उन्हें गुस्सा आता था तब उन्हें शांत करने का काम कोई नहीं कर सकता था. ऐसा माना जाता है कि वह भगवान विष्णु के अवतार थे इसलिए शांत रहते थे लेकिन अगर कोई बात उन्हें पसंद नहीं आए तो उन्हें भगवान शिव की तरह गुस्सा आता था क्योंकि वह शिवजी के परमभक्त भी थे.
पिनाक धनुष का निर्माण कैसे हुआ?
इसे सुनेंरोकेंइसलिए इसका सद्उपयोग किया जाना चाहिए। यह विचारकर ब्रह्मा जी ने वह बाँस काटकर विश्वकर्मा जी को दे दिया। विश्वकर्मा जी ने उससे दो दिव्य धनुष बनाये, जिनमें एक उन्होंने भगवान विष्णुजीक को और एक शिव जी को समर्पित कर दिया, जिसका नाम पिनाक था । पिनाक धनुष धारण करने के कारण ही शिवजी को पिनाकी कहा जाता है ।
परशुराम को शिव धनुष कैसे मिला?
इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव का धनुष पिनाक बेकार हो गया और भगवान विष्णु का धनुष शारंग प्रबल हो गया। यह धनुष पिनाक बाद में भगवान राम द्वारा तोड़ा गया था। भगवान राम ने परशुराम से शारंग को भी लिया और इसे सुरक्षित रखने के लिए महासागर के देवता वरुण को दे दिया था।
यहाँ दिखाई दे रहे इस दिव्य धनुष का नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपिनाक नामक यह वही शिव धनुष था जिसे देवताओं ने राजा जनक के पूर्वजों को दिया था जो अंत में धरोहर के रूप में राजा जनक को प्राप्त हुआ था
धनुष का आविष्कार कब हुआ?
इसे सुनेंरोकेंतथाकथित एल्म होल्मेगार्ड डेनमार्क से धनुष है, 9000 ईसा पूर्व से डेटिंग, एक टुकड़ा में सबसे पुराना जीवित धनुष हैं आधुनिक डिजाइन उच्च प्रदर्शन धनुष इस डिजाइन के बाद मॉडलिंग कर रहे हैं।
राजा जनक ने सीता स्वयंवर में क्या शर्त रखी थी?
इसे सुनेंरोकेंसीता स्वयंवर में राजा जनक ने सीता से विवाह की शर्त रखी है, भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ानेे वाले राजा के साथ सीता का विवाह होगा। गुरु विश्वामित्र से आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष को उठा लेते हैं और प्रत्यंचा चढ़ाते हुए धनुष टूट जाता है। राजा जनक सीता का विवाह श्री राम के साथ कर देते हैं
शिव धनुष किसका बना था?
इसे सुनेंरोकेंदेवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवराज इन्द्र को दे दिया। राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवराज थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था।