शैशवावस्था को जीवन का महत्वपूर्ण काल क्यों कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंशैशवावस्था का महत्व :- इस अवस्था में शिशु पूर्ण रूप से माता-पिता पर निर्भर रहता है उसका व्यवहार मूल प्रवृत्तियों पर आधारित होता है, जीवन के प्रथम दो वर्षों में बालक अपने भविष्य के जीवन की आधारशिला रखता है। व्यक्ति को जो कुछ बनना होता है, वह आरंभ के चार-पांच वर्षों में ही बन जाता है।
शैशवावस्था कब से कब तक होती है?
इसे सुनेंरोकेंरूसो ने बालकों की तीन अवस्थाओं की कल्पना की थी : शैशवावस्था, जो एक 01 से 06 तक रहती है, बाल्यावस्था जो 06 वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है और किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 18 वर्ष तक रहती है। आधुनिक मनोविश्लेषण विज्ञान के विशेषज्ञों ने रूसों की उक्त कल्पना का समर्थन बालक की कामवासना के विकास के आधार पर किया है।
बाहरी सत्ता प्राप्त करने की उम्र क्या होती है?
इसे सुनेंरोकेंपियाजे ने पाया कि जब बच्चे नैतिकता के बारे में सोचते हैं, तो वे दो अलग-अलग अवस्थाओं से होकर गुजरते है। चार से सात साल के बच्चे (बाहरी सत्ता से प्राप्त) नैतिकता दिखाते है जो कि प्याजे के नैतिक विकास के सिद्धान्तों की पहली अवस्था है।
शारीरिक विकास पर पोषण का क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंपोषण शारीरिक संरचना एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पोषण से मनुष्य के आकार, भार एवं लम्बाई में वृद्धि होती है। समुचित पोषण से व्यक्ति की हड्डियाँ, दाँत एवं माँसपेशियाँ मजबूत एवं सुदृढ़ होती हैं। पोषण से बालकों का शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
शैशवावस्था सीखने का आदर्श काल है यह कथन किसका है?
इसे सुनेंरोकेंइस सम्बन्ध में स्किनर (Skinner) (A-p.
शैशवावस्था का काल क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंबालक के जन्म के पश्चात 5 वर्ष की अवस्था शैशवकाल होती है। बालक की इस अवस्था को “बालक का निर्माण काल” माना जाता है।
पियाजे ने कौन सा सिद्धांत प्रतिपादित किया?
इसे सुनेंरोकेंप्याज़े का सिद्धान्त, विकासी अवस्था सिद्धान्त (developmental stage theory) कहलाता है। यह सिद्धान्त ज्ञान की प्रकृति के बारे में है और बतलाता है कि मानव कैसे ज्ञान क्रमशः इसका अर्जन करता है, कैसे इसे एक-एक कर जोड़ता है और कैसे इसका उपयोग करता है। पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धान्त को विकासात्मक सिद्धान्त भी कहा जाता है।
वस्तु स्थायित्व की अवस्था कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंसंवेदी-पेशीय अवस्था (सेसंरी मोटर स्टेज) शुरूआत में बालक प्रतिवर्ती क्रियाएं करता है, जैसे कि चूसना और धीरे-धीरे संवेदी पेशीय कार्य पैटर्न दिखाता है, जैसे बर-बार गिराना, जिनके गिरने की आवाज़ उसे रोचक लगे। इस अवस्था में सबसे बड़ी उपलब्धि बालक द्वारा वस्तु स्थायित्व (Object Permanence) का संज्ञान होना है
शारीरिक विकास के लिए क्या करें?
इसे सुनेंरोकेंइसके अलावा भोजन में चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को भी खिलाना चाहिए। जिससे बच्चों को शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जरूरी पोषण मिल सके
मनोगत्यात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंबच्चों के शारीरिक और विकास में मनोगत्यात्मक विकास में अभिभावकों की भूमिका शारीरिक और मनोगत्यात्मक विकास अनुवांशिक तथा वातावरणीय कारक दोनों प्रकार के कारकों से प्रभावित होता है। अनुवांशिक गुण वह गुण है जो बच्चे अपने माता-पिता और पूर्वजों से प्राप्त करते हैं। बच्चों का कद और भाड़ का बढ़ाना एक ढांचे के अनुसार होता है